Defend from Unquenchable Power
आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा-भौतिक शरीर में वास करती है वह जीवात्मा कहलाती है जब वासनामय शरीर में जीवात्मा का निवास होता है तब वह प्रेतात्मा कहलाती है यह आत्मा जब अत्यन्त सूक्ष्म परमाणुओं से निर्मित सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है उस अवस्था को सूक्ष्मात्मा या अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) कहते हैं-
अकाल-मृत्यु प्राप्त लोगों की अतृप्त शक्तियां अपनी अपूर्ण इच्छाओं की पूर्ति हेतु जिद से मनुष्य के प्रति आसक्त हो जाती है तो उनके द्वारा अनेक उपद्रव का उत्सर्जन होता है इसके साथ साथ कुछ अतृप्त आत्माएं साधकों द्वारा तांत्रिक किक्रयाओं के अंतर्गत निहित कर ली जाती है जिन्हें बाद में साधक या तांत्रिक अपनी उपयोगिता अनुसार जादू टोने आदि कार्यो के हेतु प्रयुकत करता है इस प्रकार की प्रेतादि शक्तियों के अतिरिक्त इससे मिलती हुई खबीस, जिन्न, दैत्य, पिशाच आदि नामों की कुछ अन्य अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) भी हैं जिनकी नकारात्मक परिधि में भी यदि कोई जातक आ जाए तो उसके जीवन में अनेक प्रकार की अनिष्टताएं उत्पन्न होने लगती है-
इस संसार में कुछ नकारात्मक उर्जा या अतृप्त शक्तियां भी विद्धमान है जो कभी-कभी अचानक ही कमजोर या कम इच्छा शक्ति वाले लोगो को प्रभावित कर देती हैं और व्यक्ति परेशान हो सकता है इस तरह आप अतृप्त शक्तियां से पीड़ित व्यक्ति के लिए एक प्रयोग करके लाभ ले-
मनुष्य के आत्म विश्वास का टूटना, भोग-विलासी प्रवृत्ति, निद्रा काल में डरावने या अश्लील स्वप्नों को आना, पवित्र गंथों व वस्तुओं से घृणा, किसी से नेत्र न मिला पाना, कभी चिल्लाना, बड़बड़ाना या कभी एकदम चुप्पी साध लेना, क्रोध का बार बार आना, अचानक या अक्सर सुगंध तो कभी दुर्गंध का आना, अस्वस्थता, शरीर का काला या पीला पड़ जाना ये सारे के सारे लक्षण भूत-प्रेातद व अन्य अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) से प्रभावित होने वाले व्यक्ति के हैं-
घर के सामानों का अपने-आप इधर-उधर फेंका जाना या लापता हो जाना, अनायास किसी अनजान वस्तु का घर में आ जाना या पड़ा होना, टंगे या रखे कपड़ों या अन्य किसी वस्तु आदि में आग लग जाने की घटना आदि-
अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) के लक्षण-
मनुष्य के आत्म विश्वास का टूटना, भोग-विलासी प्रवृत्ति, निद्रा काल में डरावने या अश्लील स्वप्नों को आना, पवित्र गंथों व वस्तुओं से घृणा, किसी से नेत्र न मिला पाना, कभी चिल्लाना, बड़बड़ाना या कभी एकदम चुप्पी साध लेना, क्रोध का बार बार आना, अचानक या अक्सर सुगंध तो कभी दुर्गंध का आना, अस्वस्थता, शरीर का काला या पीला पड़ जाना ये सारे के सारे लक्षण भूत-प्रेातद व अन्य अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) से प्रभावित होने वाले व्यक्ति के हैं-
घर के सामानों का अपने-आप इधर-उधर फेंका जाना या लापता हो जाना, अनायास किसी अनजान वस्तु का घर में आ जाना या पड़ा होना, टंगे या रखे कपड़ों या अन्य किसी वस्तु आदि में आग लग जाने की घटना आदि-
अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) के लिए क्या करें-
1- लहसुन के तेल में हींग मिलाकर दो बूंद नाक में डालने, नीम के पत्ते, हींग, सरसों, बच व सांप की केंचुली की धूनी देने तथा रविवार को काले धतूरे की जड़ हाथ में बांधने से ऊपरी बाधा दूर होती है-
2- गंगाजल में तुलसी के पत्ते व काली मिर्च पीसकर घर में छिड़कने, गायत्री मंत्र के (सुबह की अपेक्षा संध्या समय किया गया गायत्री मंत्र का जप अधिक लाभकारी होता है) जप, हनुमान जी की नियमित रूप से उपासना, राम रक्षा कवच या रामवचन कवच के पाठ से नजर दोष से शीघ्र मुक्ति मिलती है साथ ही पेरीडॉट, संग सुलेमानी, क्राइसो लाइट, कार्नेलियन जेट, साइट्रीन, क्राइसो प्रेज जैसे रत्न धारण करने से भी लाभ मिलता है-
3- हनुमान जी के बजरंग बाण का पाठ जिस घर में नित्य होता है उस घर में कभी भी अद्रश्य और अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) का आगमन नहीं हो पाता है-
4- मंगल व शनिवार के दिन जावित्री व श्वेत अपराजिता के पत्ते को आपस में पीसकर उसके रस को प्रेतादि या ऊपरी बाधा से पीड़ित जातक को सुघांएं इससे अतृप्त शक्तियां से अवश्य ही मुक्ति मिलेगी-
5- देवदारू, हींग, सरसों, जौ, नीम की पत्ती, कुटकी, कटेली, चना व मोर के पंख को गाय के घी तथा लोहबान में मिला कर मिट्टी के पात्र में रख लें फिर उसे अग्नि से जलाकर उसका धुंआ प्रेतादि बाधा से पीड़ित जातक को दिखाएं इस प्रक्रिया को नित्य कुछ दिनों तक दोहराते रहें, अवश्य लाभ मिलेगा-
6- सेंधा नमक, चंदन, कूट, घृत, चर्बी व सरसों के तेल के साथ मिश्रित करके किसी मिट्टी के पात्र में रख लें तथा फिर उसे अग्नि से जलाकर उसका धुंआ अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) से पीड़ित जातक को दिखाएं इस प्रक्रिया को शनिवार अथवा मंगलवार से प्रारंभ करके नित्य 21 दिनों तक दोहराएं-इससे ऊपरी बाधा से अवश्य ही मुक्ति मिलेगी-
7- बबूल, देवदारू, बेल की जड़ व प्रियंगु को धूप अथवा लोहबान के साथ मिश्रित करके मिट्टी के पात्र में रख लें तथा फिर उसे अग्नि से जलाकर उसके धुंए को अतृप्त शक्तियां पीड़ित जातक के ऊपर से उतारें-आप ये क्रिया मंगल या शनिवार से प्रारंभ करके इसे 21 दिनों ते दोहराते रहें तथा जब ये प्रयोग समाप्त हो जाए तो 22 वें दिन जली हुई सारी सामग्री को किसी चौराहे पर मिट्टी के पात्र सहित प्रातः सूर्य उदय से पूर्व फेंक आएं पीड़ित को अवश्य लाभ होगा-
8- मंगल या शनिवार के दिन लौंग, रक्त-चंदन, धूप, लोहबान, गौरोचन, केसर, बंसलोचन, समुद्र-सोख, अरवा चावल, कस्तूरी, नागकेसर, जई, भालू के बाल व सुई को भोजपत्र के साथ अपने शरीर व लग्न के अनुकूल धातु के ताबीज में भरकर गले में धारण करें-शरीर पर प्रेतादि जैसे अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) का कोई दुष्ट प्रभाव नहीं पड़ सकता है-
4- मंगल व शनिवार के दिन जावित्री व श्वेत अपराजिता के पत्ते को आपस में पीसकर उसके रस को प्रेतादि या ऊपरी बाधा से पीड़ित जातक को सुघांएं इससे अतृप्त शक्तियां से अवश्य ही मुक्ति मिलेगी-
5- देवदारू, हींग, सरसों, जौ, नीम की पत्ती, कुटकी, कटेली, चना व मोर के पंख को गाय के घी तथा लोहबान में मिला कर मिट्टी के पात्र में रख लें फिर उसे अग्नि से जलाकर उसका धुंआ प्रेतादि बाधा से पीड़ित जातक को दिखाएं इस प्रक्रिया को नित्य कुछ दिनों तक दोहराते रहें, अवश्य लाभ मिलेगा-
6- सेंधा नमक, चंदन, कूट, घृत, चर्बी व सरसों के तेल के साथ मिश्रित करके किसी मिट्टी के पात्र में रख लें तथा फिर उसे अग्नि से जलाकर उसका धुंआ अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) से पीड़ित जातक को दिखाएं इस प्रक्रिया को शनिवार अथवा मंगलवार से प्रारंभ करके नित्य 21 दिनों तक दोहराएं-इससे ऊपरी बाधा से अवश्य ही मुक्ति मिलेगी-
7- बबूल, देवदारू, बेल की जड़ व प्रियंगु को धूप अथवा लोहबान के साथ मिश्रित करके मिट्टी के पात्र में रख लें तथा फिर उसे अग्नि से जलाकर उसके धुंए को अतृप्त शक्तियां पीड़ित जातक के ऊपर से उतारें-आप ये क्रिया मंगल या शनिवार से प्रारंभ करके इसे 21 दिनों ते दोहराते रहें तथा जब ये प्रयोग समाप्त हो जाए तो 22 वें दिन जली हुई सारी सामग्री को किसी चौराहे पर मिट्टी के पात्र सहित प्रातः सूर्य उदय से पूर्व फेंक आएं पीड़ित को अवश्य लाभ होगा-
8- मंगल या शनिवार के दिन लौंग, रक्त-चंदन, धूप, लोहबान, गौरोचन, केसर, बंसलोचन, समुद्र-सोख, अरवा चावल, कस्तूरी, नागकेसर, जई, भालू के बाल व सुई को भोजपत्र के साथ अपने शरीर व लग्न के अनुकूल धातु के ताबीज में भरकर गले में धारण करें-शरीर पर प्रेतादि जैसे अतृप्त शक्तियां (Unquenchable Power) का कोई दुष्ट प्रभाव नहीं पड़ सकता है-
प्रस्तुती- Satyan Srivastava
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