अशोक के वृक्ष(Ashoka Tree)से आप सभी लोग तो परिचित ही हैं अक्सर इस वृक्ष को सजावट के लिए लगाया जाता है ये 25 से 30 फुट ऊंचा यह वृक्ष आम के वृक्ष की तरह सदा हरा−भरा रहता है संस्कृत में इसे हेमपुष्प ताम्र पल्लव आदि नामों से पुकारते हैं यूं तो फारबीएसी जाति का यह वृक्ष देखने में सुदंर होता है साथ ही इसमें दिव्य औषधीय गुण भी होते हैं अभी तक अशोक वृक्ष(Ashoka Tree)की दो किस्में ज्ञात हैं पहले किस्म के अशोक की पत्तियां रामफल के वृक्ष जैसी तथा दूसरे किस्म के अशोक की पत्तियां आम की पत्तियों जैसी परन्तु किनारों पर लहरदार होती हैं-
अशोक के लाभ-
1- औषधीय प्रयोग के लिए ज्यादातर इसकी पहली किस्म का ही प्रयोग किया जाता है दवा के रूप में अशोक के वृक्ष(Ashoka Tree)छाल, फूल तथा बीजों आदि का प्रयोग किया जाता है चूंकि बगीचों में सजावट के लिए प्रयुक्त अशोक तथा असली अशोक के गुणों में बहुत अन्तर होता है इसलिए जरूरी है कि औषधि के रूप में असली अशोक का ही प्रयोग किया जाए-असली अशोक वृक्ष(Ashoka Tree)की छाल स्वाद में कड़वी, बाहर से घूसर तथा भीतर से लाल रंग की होती है तथा छूने पर यह खुरदरी लगती है-
2- अशोक का रस कसेला,कड़वा तथा ठंडी प्रकृति का होता है यह रंग निखारने वाला, तृष्णा व ऊष्मा नाशक तथा सूजन दूर करने वाला होता है यह रक्त विकार, पेट के रोग, सभी प्रकार के प्रदर, बुखार, जोड़ों के दर्द तथा गर्भाशय की शिथिलता भी दूर करता है-
3- अशोक के वृक्ष(Ashoka Tree)मुख्य प्रभाव पेट के निचले हिस्सों पर पड़ता है गर्भाशय के अलावा ओवरी पर भी इसका प्रभाव पड़ता है महिलाओं की प्रजनन शक्ति बढ़ाने में यह सहायक होता है अशोक के वृक्ष में कीटोस्टेरॉल पाया जाता है जिसकी क्रिया एस्ट्रोजन हारमोन जैसी होती है-
4- अनेक बीमारियों के निदान के लिए अशोक के विभिन्न भागों का प्रयोग किया जाता है यदि कोई स्त्री स्नान के उपरांत स्वच्छ वस्त्र पहन कर अशोक की आठ नई कलियों का सेवन करे तो उसे मासिक धर्म संबंधी कष्ट कभी नहीं होता। साथ ही इससे बांझपन भी मिटता है साथ ही अशोक के फूल दही के साथ नियमित रूप से सेवन करते रहने से भी गर्भ स्थापित होता है-
5- अशोक की छाल में एस्टि्रन्जेंट(कषाय कारक)और गर्भाशय उत्तेजना नाशक संघटक विद्यमान हैं यह औषधि गर्भाशय संबंधी रोगों में विशेष लाभ करती है फायब्रायड ट्यूमर के कारण होने वाले अतिस्राव में यह विशेष रूप से लाभकारी है-
अशोक वृक्ष(Ashoka Tree)के उपयोग-
1- अशोक की छाल के चूर्ण और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर, गाय के दूध के साथ एक−एक चम्मच दिन में तीन बार कुछ हफ्तों तक लेने से श्वेत प्रदर में बहुत लाभ होता है-
Upcharऔर प्रयोग-
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