लगभग तीन हजार जनसंख्या के शनि शिंगणापुर गाँव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है कहीं भी कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता है घर में लोग आलीमारी, सूटकेस आदि नहीं रखते ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है-
लोग घर की मूल्यवान वस्तुएँ, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली तथा डिब्बे या ताक का प्रयोग करते हैं। केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाजे पर लगाया जाता है-
यहाँ दुमंजिला मकान भी नहीं है। यहाँ पर कभी चोरी नहीं हुई। यहाँ आने वाले भक्त अपने वाहनों में कभी ताला नहीं लगाते। कितना भी बड़ा मेला क्यों न हो, कभी किसी वाहन की चोरी नहीं हुई-
यहां के लोग सुरक्षा के लिए लॉकरों में भी ताले नहीं लगाते हैं. दरअसल, उनका विश्वास है कि मंदिर शनि देवता का निवास स्थान है और इस वजह से वहां कोई भी चोरी करने की हिम्मत नहीं कर सकता, क्योंकि इससे उसे और उसके परिवारवालों को शनि के क्रोध का सामना करना पड़ेगा. अब बैंक भी इस परंपरा का पालन कर रहे हैं -
कुछ दिनों पहले यहां यूको बैंक की एक शाखा शुरू हुई है, जिसके दरवाजे पर कोई ताला नहीं लगता है. क़रीब 3000 लोगों की आबादी वाले इस अनूठे शहर में सबसे पहले यूको बैंक ने अपनी शाखा शुरू की, जिसका उद्घाटन पिछले साल जनवरी को हुआ. स्थानीय धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए बैंक ने निर्णय लिया है कि उसकी इस शाखा के मुख्य दरवाज़े पर कोई ताला नहीं लगेगा -
नकदी डिब्बों और अंदर रखे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की सुरक्षा के लिए एहतियाती क़दम उठाना ज़रूरी था. इसलिए बैंक के छह सदस्यीय कर्मचारी मंडल में से कोई न कोई हर समय शाखा परिसर में रहता है -
शनि भगवान की स्वयंभू मूर्ति काले रंग की है। 5 फुट 9 इंच ऊँची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी यह मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर धूप में ही विराजमान है। यहाँ शनिदेव अष्ट प्रहर धूप हो, आँधी हो, तूफान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में बिना छत्र धारण किए खड़े हैं। राजनेता व प्रभावशाली वर्गों के लोग यहाँ नियमित रूप से एवं साधारण भक्त हजारों की संख्या में देव दर्शनार्थ प्रतिदिन आते हैं-
उपचार और प्रयोग-
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