विषाद रोग-Nostalgia Disease
अब यहाँ मै जिस केस को बताने जा रहा हूँ वह पिछले दो प्रकरणों से अलग है यह केस एक प्रध्यापक के मतिभ्रम(Hallucinations)की कहानी है हमारा आफिस ग्वालियर में था इसलिए प्राय: डबरा से ग्वालियर आना जाना लगा रहता था -डबरा के ही एक प्रोफेसर साहब ग्वालियर के एक कालेज में सोशियोलाजी पढ़ाते थे इसलिए वे भी प्रति दिन ग्वालियर जाते थे -
वे 'विवेकानंद-एक राष्ट्रीय नायक ' विषय पर पी.एच.डी.कर रहे थे-जब कभी हम साथ-साथ बैठते तो इस विषय पर चर्चा हो जाती-मैने उन्हें स्वामी विवेकानन्द के बारे में बहुत सी जानकारियां दी -इन्हें जान कर उन्हें बहुत आश्चर्य होता था-वे कहते इस विषय पर खोज करने के लिए मै छह महीने बैलुर मठ और खजुराहो रहा हूँ -वहां मुझे विश्व के जाने माने विद्वानों तथा अपने देश की उच्चकोटि की विभूतियों का साथ और विचार विनिमय करने के प्रचुर अवसर प्राप्त हुए है -खजुराहो की कला,मंदिर शिल्प तथा इतिहास आदि के सम्बन्ध में तो मेरा स्वयं का नाम भी देश-विदेश में जाना जाता था-
एक दिन जब हम ग्वालियर से डबरा वापिस आ रहे थे तो उनने मुझसे पूँछा आप घर कहाँ होकर जायेगे-मैने कहा कि मै तो महाकालेश्वर मंदिर से सीधे जाता हूँ ,रेल्वे फाटक से आगे बाई ओर मुड़े और घर पहुंचे-उन्होंने कहा कि अब तो मै भी अपने घर पंहुच जाऊँगा -मै उनके इन शब्दों पर विचार करने लगा कि इन्होने ऐसा क्यों कहा-क्या जो व्यक्ति डबरा में पैदा हुआ,पला,बढ़ा और तीस साल का हुआ हो अपने घर का रास्ता भूल सकता है -संयोग से इसकी चर्चा हमने अपनी पत्नी से की-उन्होंने कहा आपको नहीं मालुम क्या? मैने पूछा उन्हें क्या हो गया है -मेरी पत्नी ने कहा-वे तो पागल हो गए है-उन्हें रात-रात भर नींद नहीं आती है-ग्वालियर के किसी बड़े डॉक्टर से तो उनका इलाज चल रहा है-मेरे मुंह से निकला ओह!! मेरे पास आ जाए मै उन्हें ठीक कर दूंगा -संयोगवश मेरी बच्चियां उन्ही के स्कुल में पढ़ती थी और उसी स्कूल की एक शिक्षिका उन बच्चियों को घर पर पढ़ाने भी आती थी-
पत्नी ने उनसे कहा कि मै ऐसे कह रहा था-उनने प्रोफेसर साहब की माताजी को बताया तो वे उन्हें लेकर मेरे घर आ गई-लक्षण लेने पर ज्ञात हुआ कि उन्हें नींद में बहुत परेशानी होती है-नींद लगते ही Nervousness(घबडाहट) और बैचेनी होने लगती है -कई महीने से ऐसा हो रहा है और अब तो ये नींद के नाम से भी डरने लगे है-
छाती पर बोझ,गला रुंधना,गरम पसीना आना आदि लक्षण स्पष्ट रूप से 'लेकेसिस' की ओर इशारा कर रहे थे अत: 1000 शक्ति की दो पुड़ियाँ दे दी-माता जी को बता दिया कि अब ये सोयेगे,इन्हें बिलकुल डिस्टर्व नहीं करना है-ये जितना भी सोये,इन्हें सोने देना-
खाने को मांगे तो भर पेट पौष्टिक भोजन जैसे शुद्ध घी का हलवा आदि देती रहे-दवा के प्रभाव से उनने सोते जागते,जागते सोते पुरे तीन दिन निकाल दिए-चौथे दिन वे नहा धोकर बिलकुल फ्रेश होकर मेरे घर आये और पूर्णता: सामान्य रूप से बात-चीत करने लगे-उन्होंने कहा कि अब मेरा दिमाग बिलकुल साफ़ है और मै पाहिले की ही तरह अपने को फिट तथा अलर्ट महसूस कर रहा हूँ -उन्होंने मुझ से पूँछा मुझे क्या बीमारी हो गई थी -मैने कहा कि होम्योपैथी में बीमारी का नाम नहीं बल्कि लक्षण ही प्रधान होते है-हाँ,इतना जरुर कह सकता हूँ कि आपके उपर किसी सर्प विष का प्रभाव था-बाद में उन्हें पता लगा कि उनके घर के किसी सदस्य ने ही यह दुष्कर्म किया था-
आप हमारी सभी पोस्ट होम्योपैथी के केस की एक साथ इस लिंक पे जाके देख सकते है -
लिंक- Disease-Homeopathy
- मेरा पता-
- KAAYAKALP
- Homoeopathic Clinic & Research Centre
- 23,Mayur Market, Thatipur, Gwalior(M.P.)-474011
- Director & Chief Physician:
- Dr.Satish Saxena D.H.B.
- Regd.N.o.7407 (M.P.)
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