रक्त में विषाक्तता के कारण गर्भपात-
मेरे एक परिचित की पत्नी को तीन बार गर्भपात हो चुका था- भोपाल में विशेषज्ञ चिकित्सकों के द्वारा चिकित्सा के उपरान्त भी महिला गर्भधारण करने में असमर्थ थी - रक्त की अति विशिष्ठ जाँचों से पता चला कि रक्त में रुवेला के अतिरिक्त अन्य अनेक विषाक्त तत्व मौजूद हैं एलोपैथिक डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि आप बच्चे के बारे में बिलकुल भी न सोचें क्युकि रुवेला विष के कारण गर्भ टिक ही नहीं सकेगा क्युकि रुबेला बिष को दूर करने के लिये हमारे पास कोई उपाय नहीँ हैँ-
केस जब मेरे पास आया तो मैंने उन्हें आशवासन दिया कि होम्योपैथी से रुबेला के बिष को दूर किया जा सकता है किन्तु समय जो भी लगे - आप लोग अभी- युवा हैं और कुछ समय तक प्रतीक्षा करने मे कोई हानि नहीं है-
चिकित्सा के रूप में रुबेला के लिये 'मार्बीलीनम 1000' से सी.एम . पोटेन्सी तक दी गई इसके अतिरिक्त अन्य शारीरिक व्याधियों जैसे- हथेली में एक्जीमा, मासिक की गडबडी, मलेरिया बुखार, कमर में दर्द आदि कष्टों के लिये लक्षणोंफे अनुसार 'रेननकुलस बल्बस, टूयूवरक्यूलिनिम, सिक्यूटा विरोसा, कालोफायलम, सीपिया. चायना आर्स, लेकेसिस आदि भी गई - दो बर्ष की लगातार चिकित्सा से रक्त तथा हार्मोन सम्बन्धी त्रुटियाँ न केवल दूर हुई अपितु सीमा के भीतर ही उन्हें पाया गया-
इसके उपरान्त गर्भ स्थापन हुआ -सामान्य प्रसव हुआ और वह बच्ची अब बड़ी हो गई तो उसकी एक छोटी बहन और आ गई है-
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प्रस्तुतीकरण - Upcharऔर प्रयोग
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