केरल के एक सज्जन जो यहाँ ए.जी.आंफिस(ग्वालियर) में कार्यरत है उनको उनके गाँव केरल से सूचना मिली कि उनकी की माताजी के आंतो में सिंकुडाव आ गया है तथा डॉक्टरों ने तुरन्त आपरेशन की सलाह दी है वे तुरन्त केरल भागे-भागे पहुंचें और सिर्फ उन्होंने डॉक्टर से एक ही प्रश्न किया कि जहाँ अभी सिकुडाव है वहाँ तो आप आपरेशन करके ठीक कर देंगे किन्तु बाद में यही समस्या दूसरी जगह तो पैदा नही होगी-
डॉक्टर ने कहा इसकी कोई गारन्टी नहीं है- वे निराश होकर के अपनी माताजी को लेकर ग्वालियर आ गये और ए.जी.आंफिस के ही हमारे एक पुराने मरीज की सलाह पर इलाज के लिये उन्हें मेरे पास ले आये और जिस समय वे माताजी को मेरे पास ले कर आये उस समय उनकी स्थिति यह थी कि ऊपर का खाया पिया सब उल्टी में निकल रहा था उनकी जीवन रक्षा फे लिये पोषक तत्व केवल नसों के द्वारा दिये जा रहे थे -
उनकी उम्र लगभग 65 वर्ष थी तथा सामान्य स्वास्थ्य की हालत गम्भीर थी - उन्हें साथ ही डायबिटीज भी बताई गई थी -मैंने उन्हें 'बेरायटा कार्ब1000' की दो खुराकें व 'फायटालेक्का30' व 'इपीकाक 30' की दो-दो खुराके देना शुरू किया । दूसरे दिन उनकी उल्टियाँ बन्द हो गईं और तीसरे दिन से कुछ तरल पदार्थ आँतों से नीचे जाने लगा -
लगभग दो सप्ताह बाद उनकी दवा लेने कोई नहीं जाया तो मैंने उनके किसी मित्र से पूँछा कि माता जी का क्या हाल है उन्होंने बताया कि वे तो गई - मैं एक दम चौंका, फिर उनसे पूँछा कि कहाँ गई - तब वे बोले केरल वापिस गई -मेरी जान में जान आई फिर मैंने पूँछा कि दवा क्यों नहीं ले गईं -उन्होंने बताया कि वे तो ठीक हो गईं थी, और उनका तो बजन भी 3 किलो बढ गया था-
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