पहले डबरा में हमारा एक जब छोटा सा क्लिनिक होता था हमें नौकरी के बाद हमें लोगो की फ्री सेवा करने का जो आनंद आता था वो आनंद भी 'गूंगे का फल' ही कहा जा सकता है जब कोई भी मरीज अपने रोग के कष्टों से मुक्त हो जाता है जो रोग असाध्य हो तो सच मानिए उसकी आत्मा से निकली हुई एक-एक दुआ किसी अमूल्य रत्न से कम नहीं होती है आप से उस समय के एक केस की चर्चा करता हूँ -
डबरा के(ग्वालियर) एक समृद्ध व्यापारी श्री पहाडिया जी के दस वर्षीय बेटे के पेट मेँ आँतों में छाले थे पेट में बहुत तेज दर्द होता था लम्बे समय से उसके पेट में अन्न का दाना नहीं गया था तथा डॉक्टरों ने कह रखा था कि जिस दिन इसके पेट मेँ अन्न का दाना पहुंचा उसके बाद इसका भगवान ही मालिक है इलाज के लिये उसे मेरे पास लाया गया -पेट में ऐठन, जलन, उबकाई आदि लक्षणों के आधार पर मैने उसे 'नाइट्रिक एसिड 1000' की दो पुडियाँ दी तथा दुसरे दिन हाल बताने के लिये कह दिया - दूसरे दिन सवेरे ही पहाडिंयाजी मेरे घर आकर खडे हो गये -उन्होंने बताया कि बच्चे का पेट में दर्द वैगेरह तो कुछ नहीं है पर समस्या यह है कि वह खाने के लिये मांग रहा है-
सवेरे से भूंख-भूंख चिल्ला रहा है और रोटी खाने की जिद कर रहा है -मैंने कहा पतली सी रोटी अच्छी तरह सिकवा कर मूगँ की दाल में भिगो कर दो-चार कौर अभी दे दो-बाद में धीरे धीरे उसकी खुराक बढाना- बे बोले क्या बात करते हैं आप.. !
हम उसे रोटी कैसे दे सकते हैं उसे कुछ हो गया तो ?
मैंने कहा कुछ नहीं होगा भगवान का नाम ले कर दे दो शाम को उसका हाल बताना -शाम को सबसे पहिले वे ही आये और बोले आपने कमाल कर दिया -मेरे बेटे को अन्न हज़म होगया ओर सभी मरीजों के सामने एक 100(उस जमाने में सौ रूपये बहुत हुआ करते थे) रुपये का नोट मेरी मेज पर रख दिया - मैंने उनसे कहा कि पैसे तो मै किसी से लेता नहीं हूँ - उन्होने कहा कि वैश्य हूँ दे कर ही हटूंगा- ये तो आपको लेना ही पडेगा -मैंने कहा मैं भी कायस्थ हूँ जब लूँगा तो सबसे लूँगा वरना किसी से नहीं लूँगा- जो मरीज वहाँ बैठे थे वे भी आग्रह करने लगे -
अंत में मैंने उनकी भावनाओं का अनादर न करते हुए उस नोट को स्पर्श करके उनको दे दिया और कहा कि ये आपके बच्चे पर न्यौछावर है आप ही गरीबों को बाँट दीजिये -वह नोट ही नहीं पहाडियाजी ने उसके बाद तो बहुत कुछ किया और एक कठिन रोग सरलता से ठीक हो जाने के कारण मुझे भी आत्मसंतोष के रूप में बहुत बड़ा इनाम मिल चुका था -
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मेरा सम्पर्क पता है-
KAAYAKALP
Homoeopathic Clinic & Research Centre
23,Mayur Market, Thatipur, Gwalior(M.P.)-474011
Director & Chief Physician:
Dr.Satish Saxena D.H.B.
Regd.N.o.7407 (M.P.)
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Dr. Manish Saxena
Mob : -09826392827(फोन करने का समय-सुबह 10A.M से शाम4 P.M.)
Clinic-Phone - 0751-2344259 (C)
Residence Phone - 0751-2342827 (R)
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