Underdeveloped spinal treatment-अविकसित रीढ़ की हड्डी का इलाज-
मेरे पास वुलन्दशहर( उत्तर प्रदेश) से एक बच्चे का केस आया जिसकी गरदन के पीछे रीढ की हड्डी पर लगभग पानी भरी छोटी गेंग के आकार का ट्रयूमर(Tumors) के समान एक उठा हुआ भाग था और बच्चे की उम्र मात्र एक महिने तीन दिन थी जन्म के बाद से ही उसे यह कष्ट था ओर वह फूला हुआ भाग निरन्तर बढता ही जा रहा था बच्चे को हिलने डुलने में बहुत कष्ट होता था और वह चीख पडता था इसलिये उसे मेरे पास दोनो हाथों पर रख कर लाया गया था -स्थानीय चिकित्सकों द्वारा असमर्थता व्यक्त करने पर उसे आंल इण्डिया इंस्टीटूयूट आफ़ मेडीकल साइंसेज दिल्ली मेँ दिखाया गया जहाँ उन्होंने बताया कि बच्चा जब तीन साल का हो जायेगा तब उसकी रीढ की हड्डी का आपरेशन हो सकेगा-मेरठ के एक हमारे शिष्य होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ.उजलायन ने उसे मुझे दिखाने की सलाह दी -
बच्चे का परीक्षण करने पर समझ में आया कि उसकी सेरीब्रल स्पाइन का तीसरा गुरिया कार्टीलेज की स्थिति में था जो पूरी तरह हड्डी मेँ विकसित नहीं हो पाया था इसलिये वहां से Seribrosyainl Fulud(सेरीब्रोस्याइनल फूल्यूड) रिस के त्वचा के नीचे जमा हो रहा था जिसने एक छोटी गेंद का आकार ले लिया था-
बच्चे के पिता का मुझसे पहिला प्रश्न था कि क्या ये बच्चा ठीक हो जायेगा- मैँने कहा अवश्य ठीक हो जायेगा-मेरा उत्तर सुन कर बहुत आश्चर्य हुआ क्योकि बडे से बडे डाक्टरों ने भी उसके ठीक होने की कोई आशा प्रगट नहीं की थी -उन्होंने मुझसे पूछा कि कैसे ठीक हो जायेगा - मैंने उनसे कहा कि नवजात शिशुओं का तालू कितना नरम रहता हैं उसमे टपकन साफ़ दिखती हैं - बाद में वह Cartilej(कार्टीलेज) कठोर हो जाता है तथा हड्डी में बदल जाता हैं इसी तरह रीढ के इस गुरिये को दवाइयों के द्वारा हड्डी मेँ बदला जायेगा - हड्डी बन जाने के बाद वहां से तरल पदार्थ का रिसना बन्द हो जायेगा तथा जो रिस चुका है वह वही सोख लिया जायेगा - इसके बाद बच्चा सामान्य जीवन जी सकेगा-
उन्होंने फिर मुझसे पूछा कि हमेँ कितनी बार ग्वालियर आना पडेगा तब मैंने कहा कि एक बार भी नहीं मेरा पत्र आप डॉ.उजलायन को दे देना वे ही इसकी चिकित्सा करेगें यदि उन्हें कोई समस्या होगी तो वे मुझसे बात कर लेंगे-
मैंने उस बच्चे को 'केल्केरिया कार्ब1000' की दो पुडियाँ सप्ताह में एक दिन व 'केल्केरिया फॉस 30' और 'सिलीशिया 30' दिन में दो दो बार देने की व्यवस्था की लगभग तीन वर्ष बाद एक दिन एक बच्चा अकेला ही मेरे क्लीनिक में आकर खडा हो गया -मुझे आश्चर्य हुआ कि इतना छोटा बच्चा अकेले कैसे आया -उसने पीछे मुड कर देखा तो मेरी निगाह उसकी गरदन पर गई तो मुझे लगा कि हो न हो यह वहीं बच्चा है जो तीन साल पहिले रीढ की हड्डी के इलाज के लिये जाया था - तब तक उसके माता पिता भी आ गये -उन्होंने मुझसे पूछा के डॉक्टर साहब आपने हमेँ पहिचाना -मैंने कहा कि आप बुलन्दशहर से जाये हैं -उन्होंने कहा कि आपकी याददास्त बहुत अच्छी है -हम आपके पास तीन साल पहिले आये थे और कुछ ही मिनट आपके पास रुके थे- मैंने उनसे हंसते हुए कहा कि हम आपको नहीं पहिचानते हम तो अपने मरीज को पहिचानते हैं जिसे आपने पहिले ही हमारे पास भेज दिया था-
मैंने उनसे पूछा कि आप लोगों ने कैसे आने का कष्ट किया उन्होंने कहा कि आपके चेले ने भेजा है कि गुरूजी को बच्चे का चेकअप कराके आओ -बच्चा तो पूरी तरह से सामान्य था तो हमने कहा कि हमारी तरफ से उसको आशीर्वाद दे देना और कहना कि उसने बहुत ही अच्छा इलाज किया है -ऐसे ही दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता रहे-
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