मेरे एक परिचित की बहू को तीसरे माह में गर्भपात हो जाने की समस्या थी सभी प्रकार के अच्छे-अच्छे इलाज होने के बाद भी तीसरे महिने में उसे बहुत अधिक रक्तश्राव होकर गर्भपात हो जाता था यह तीसरी बार हुआ था डाक्टरनियों ने कह दिया कि भगवान पर भरोसा रखो यानी कि पूर्णत: निराशा-
इस समय उनको मेरी याद आई उन्होंने अपने लडके को मेरे पास भेजा -हाल पूछने पर मालुम हुआ कि रक्त काला, गाढ़ा छिछ्ड़ेदार और थीरे-धीरे बहने वाला है -
केस तो सीधा-सीधा 'हेमामैलिस वर्जीनिका' का था सो उसका मूल अर्क 15 एम.एल- उसे देकर बता दिया कि इसमें से 5-5 बूंदें चार चम्मच पानी में डालकर हर दो-दो घन्टे से देना है चार-पॉच खुराकें लेते ही उसका रक्तश्राव रुक गया तब मुझसे पूछा गया कि अब क्या करना हैं -मैंने उन्हें बताया कि पहिले दिन- दिन में चार बार दूसरे दिन तीन बार,तीसरे दिन दिन में दो बार ओर चौथे दिन दिन में एक बार देकर दवा बन्द कर देना है इसके बाद मुझे हाल बताना इसके बाद उसे रक्तस्राव तो नहीं हुआ पर मेरे मन में एक शंका अवश्य पैदा हो गई कि कहीं अत्याधिक रक्तश्राव के कारण भ्रूण के विकास में कोई कमी न रह जाये -इस लिये मैंने उन्हें सचेत भी कर दिया और समय-समय पर अल्ट्रासाउंड आदि जांचें कराते रहने व आगे भी इलाज चलाते रहने के लिये बता दिया था-
सबसे पहिले जो दवा दिमाग में आई यह थी 'चायना' जो शरीर से किसी भी स्राव के अधिक बह जाने पर आई कमजोरी को दूर करने के लिये प्रमुख दवा है -'चायना 30' व 'फेरम फांस 6एक्स' लम्बे समय तक दी गई शरीर में टांक्सीन को बढने से रोकने के लिये कभी कभी 'नक्स वोमिका 200' की दो खुराकें रात को सोने के पहिले दी गई-
यथा समय बहु ने सामान्य प्रसव से सामान्य बालक को जन्म दिया जिसे देख कर मन प्रसन्न हो जाता हैँ-
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