हमारे पास एक केस आया था -दस वर्ष की एक बच्ची का हाथ आतिशबाजी चलाते समय जल गया था और सही चिकित्सा और उंगलियों को चलाते न रहने के कारण सीधे हाथ की दो उंगलियां बीच की बडी उंगली व अनामिका हथेली की ओर 90 डिग्री का कोण बनाती हुईं मुड गई थी और लगभग एक साल बाद यह केस मेरे पास आया -इलाज तो उसकी डॉक्टर माँ का चल रहा था-उन्होंने वैसे ही मुझ से पूछ लिया कि डाँक्टर साहब इसकी उंगलियाँ ठीक हो सकतीं हैं क्या?
मैंने उनसे कहा कि ऐलोपैथी में इसके लिये आपकी प्लास्टिक सर्जरी की सलाह दी गई होगी -उन्होंने कहा-हाँ एलोपैथी इसके सिवाय और कोई इलाज़ नहीं है मैंने उनसे कहा कि होम्योपैथी से इसका इलाज तो हो जायेगा लेकिन समय कितना लगेगा यह नहीं कहा जा सकता -तब उन्होंने कहा कि आप इसका इलाज करिये सबसे पहिले 'केन्थिरिस 1000' की दो खुराकें आधे-आथे घन्टे से दो वार और 'केल्लेरिया फ्लोर30' व 'कांस्टीकम30' की दो-दो खुराकें दिन मेँ दो-दो बार 15 दिन तक दों गई - इससे अकडी हुई माँस पेशियों के तंतुओं में लचीलापन आना शुरू हो गया और अकडन कम होने से हाथ के प्रयोग में कठिनाई भी कम ही गई - बाद में 'कांस्टीकम1000'की दो खुराकें आधे-आधे घन्टे से सप्ताह में केवल एक दिन और 'केल्लेरिया फ्लोर30' व 'एन्टिम कूड 30' की दो-दो खुराकें प्रति दिन दी गई -लगभग तीन महिने में अगुलियों को संचालित करने में आने वाली कठिनाई दूर हो गई -
जलने के बाद घाव पकने व ऊपरी त्वचा पूरी तरह से नष्ट हो जाने के कारण हाथ से जलने का निशान नहीँ जा सका था-मैंने अनुभव किया है कि सामान्य, प्राइमरी हीलिंग, से बने दाग, कांस्टीकम से पूरी तरह चले जाते हैं परन्तु गहरे, सेवन्डिरी हीलिंग, से बने दाग काफी हद तक हल्के तो हो जाते हैं पर पूरी तरह से जाते नहीं है -
जलने के तुरन्त बाद केंथिरिस के प्रयोग से न केवल जलन आदि कष्टों में तत्काल लाभ होता हैं अपितु अन्य उलझने भी पैदा नहीं होती है-
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