यह केस मेरे लिये भी आश्चर्य का विषय है बाडे(ग्वालियर) से मुरार आते समय टेम्पो मेँ एक बंगाली दम्पति से भेंट हो गई दम्पति महिला ने सरवाइकल स्पोंडीलाईटिस के कारण सपोर्ट के लिये गले में कॉलर पहिना हुआ था साथ में एक ग्रामीण बुजुर्ग महिला बैठी हुई थी -कालर के ऊपर चमकती हुई प्लास्टिक की पट्टी देख कर उसे लगा कि यह कोई नई तरह का जेवर चला है सो उसने पूछ ही लिया कि ये तुमने बहुत अच्छा बनवा तिया है तब ग्रामीण महिला को महिला ने बताया गया कि यह कोई जेवर नहीं है वल्कि गरदन में दर्द की बजह से इसे गले में बाँधा गया है-
इलाज की बात चली तो मेरे मुंह से निकल गया कि इसका इलाज तो होम्योपैथी से बहुत अच्छा होता हैं उन्होंने कडा कि हम होम्योपैथिक दवा ही ले रहे हैं -मैंने पूछा कि कौन सी दवा ले रहे हे तो उन्होने बताया कि वह 'केल्केरिया फॉस30' व 'मेग्नेशिया फाँस6एक्स' ले रही हैं-
तब मैंने उनसे कहा कि इस मर्ज में ये दवाइयाँ विशेष सहायक नहीं होंगीं तो उन्होंने कहा कि आप कोई अच्छी सी दवा जानते हों तो बताइये -दवाइयाँ लिखने के लिये उस समय मेरे पास में कोई कागज नहीं था वे लोग एक जोडी जूते खरीद कर लाये थे सो उसी के डिब्बे पर दवाइयाँ लिख दी जो इस तरह का मेरा पहला और आखिरी प्रिस्किप्शन था -
मैंने उन्हें 'थूजा 1000' की दो खुराके आघे-आधे घन्टे से सप्ताह मेँ केवल एक दिन और 'केल्केरिया फ्लोर30' व 'रसटाक्स30' दिन में दो-दो बार लेने का सुझाव दिया -टेम्पो से उतरते -उतरते मैंने उनसे यह जरूर कह दिया कि मैँ उन्हें रास्ते चलते मिल जरूर गया हूँ वैसे मैं डॉक्टर भी हूँ और कोतवाली के सामने मेरा क्लीनिक भी था-
लेकिन अब तबादला हो जाने के कारण अब मैं बाहर चला गया हूँ जाने उस महिला को कैसे मुझ पर यकीन हुआ और उन्होंने वो दवाइयाँ ली होगी-वैसे अधिकतर मामलों में राह चलते किसी को किसी अनजाने पे जल्दी यकीन नहीं होता है और दवाइयों से उन्हें आशातीत लाभ हुआ - दो सप्ताह में ही गले का कॉलर उतर गया -अब वे मुझसे मिलना चाहते थे-
मैंने उन्हें अपना कोई नाम पता तो बताया नहीँ था सो उन्होंने मुरार कोतवाली के सामने पता किया- वहाँ लोगों ने उन्हें मेरे घर तक पहुचा दिया- रविवार को उनसे मेरी मुलाकात हुई -मैंने उन्हें इन्ही दवाइयों को तीन महिने तक लेने के लिये कहा -इतने समय में उनका रोग दूर हो गया- एक्स-रे से भी इसकी पुष्टि हो गई थी-
इसी प्रकार के एक अन्य नये केस में भी इन्हीं दवाइयों से केवल एक सप्ताह में समस्या हल हो गई थी-
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