यह मरीज एक वृद्ध महिला थी जो दमा रोग से पीडित तो थी उन्हें हिचकियों का दौरा भी पड गया था घरेलू, आयुर्वैदिक तथा ऐलोपैथिक की हिचकी रोकने के लिये सभी अकडन विरोधी(Antispasmodic)दवाइयाँ असफल सिद्ध हो जाने के कारण होम्योपैथिक चिकित्सा के लिये मेरे पास लाया गया था मेरे द्वारा दी गईं दवाइयाँ मैग्नीषिया, कॉस्टीकम, आर्सेनीकम एल्वम आदि तथा जिन्सैंग के मूल अर्क से भी कोई लाभ नहीं हुआ और रोगी की हालत यह थी कि साँस लेने में भी कठिनाई हो रही थी-
तब मेरे मन में विचार आया कि मानसिक लक्षणों का भी परीक्षण किया जाय क्योंकि मैंने भी सुन रखा था कि किसी प्रियजन के द्वारा याद किये जाने पर अथवा किसी तीव्र इच्छा के दमन करने पर हिचकियाॉँ(Hiccoughs) आने लगतीं हैं -मेरे पूँछने पर किसी से मिलने या कहीं जाने की बात तो नहीं समझ में आई परन्तु उनकी इच्छा पूँछने पर उन्हौंने बताया कि खूब अच्छा हींग का वघार लगा कर बेसन की कढी और चावल खाने की उनकी बहुत इच्छा है यह उन्हौंने अपनी बहू को भी बताया था परन्तु साँस की बीमारी के कारण यह सब देने की उसकी हिम्मत नहीं हुई- धर्मसंकट में तो मैं भी पड गया परन्तु सोचा कि हींग का एन्टीडोट दे कर माता जी को कढी-चावल खिलाया जाय यदि कोई कष्ट होता है तो उसे दवाइयों से ठीक कर लिया जायेगा-
मैंने उनकी बहू से कहा कि माताजी के लिये जैसा वे कह रहीं हैं वैसी कढी- चावल बनाइये और मैं माताजी को अपने सामने ये खिलाना चाहता था इस लिये मैंने बहू से कहा कि मैंनें भी बहुत दिनों से कढी-चावल नहीं खाया है इसलिये मैं भी माताजी के साथ ही भोजन करूँगा-
मैंनें माताजी को "Assfoetida 1000" की दो खुराकें आधे आधे घंटे से खिला दीं थी और फिर दो घंटे बाद उन्हें कढी-चावल खिलाया-खाना खाने के वाद उन्हें परेशानी तो कोई नहीं हुई लेकिन हिचकियाँ(Hiccoughs) आधे घंटे बाद ही एक दम बन्द हो गईं और फिर उन्हें जीवन में यह कष्ट दुवारा कभी नहीं हुआ-
तब मेरे मन में विचार आया कि मानसिक लक्षणों का भी परीक्षण किया जाय क्योंकि मैंने भी सुन रखा था कि किसी प्रियजन के द्वारा याद किये जाने पर अथवा किसी तीव्र इच्छा के दमन करने पर हिचकियाॉँ(Hiccoughs) आने लगतीं हैं -मेरे पूँछने पर किसी से मिलने या कहीं जाने की बात तो नहीं समझ में आई परन्तु उनकी इच्छा पूँछने पर उन्हौंने बताया कि खूब अच्छा हींग का वघार लगा कर बेसन की कढी और चावल खाने की उनकी बहुत इच्छा है यह उन्हौंने अपनी बहू को भी बताया था परन्तु साँस की बीमारी के कारण यह सब देने की उसकी हिम्मत नहीं हुई- धर्मसंकट में तो मैं भी पड गया परन्तु सोचा कि हींग का एन्टीडोट दे कर माता जी को कढी-चावल खिलाया जाय यदि कोई कष्ट होता है तो उसे दवाइयों से ठीक कर लिया जायेगा-
मैंने उनकी बहू से कहा कि माताजी के लिये जैसा वे कह रहीं हैं वैसी कढी- चावल बनाइये और मैं माताजी को अपने सामने ये खिलाना चाहता था इस लिये मैंने बहू से कहा कि मैंनें भी बहुत दिनों से कढी-चावल नहीं खाया है इसलिये मैं भी माताजी के साथ ही भोजन करूँगा-
मैंनें माताजी को "Assfoetida 1000" की दो खुराकें आधे आधे घंटे से खिला दीं थी और फिर दो घंटे बाद उन्हें कढी-चावल खिलाया-खाना खाने के वाद उन्हें परेशानी तो कोई नहीं हुई लेकिन हिचकियाँ(Hiccoughs) आधे घंटे बाद ही एक दम बन्द हो गईं और फिर उन्हें जीवन में यह कष्ट दुवारा कभी नहीं हुआ-
संपर्क पता-
KAAYAKALP
Homoeopathic Clinic & Research Centre
23,Mayur Market, Thatipur, Gwalior(M.P.)-474011
Director & Chief Physician:
Dr.Satish Saxena D.H.B.
Regd.N.o.7407 (M.P.)
Mob : 09977423220(फोन करने का समय - दिन में 12 P.M से शाम 6 P.M)(WHATSUP भी यही नम्बर है)
Dr. Manish Saxena
Mob : -09826392827(फोन करने का समय-सुबह 10A.M से शाम4 P.M.)(WHATSUP भी यही नम्बर है )
Clinic-Phone - 0751-2344259 (C)
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