When to Check your Thyroid-
प्रत्येक व्यक्ति को पैंतीस वर्ष के बाद प्रत्येक पांच वर्षों में एक बार स्वयं के थायराइड ग्रंथि(Thyroid gland)की कार्यकुशलता की जांच अवश्य ही करवा लेनी चाहिए खासकर उन लोगों में जिनमें इस समस्या के होने की संभावना अधिक हो उन्हें अक्सर जांच करवा लेनी चाहिए-
प्रत्येक व्यक्ति को पैंतीस वर्ष के बाद प्रत्येक पांच वर्षों में एक बार स्वयं के थायराइड ग्रंथि(Thyroid gland)की कार्यकुशलता की जांच अवश्य ही करवा लेनी चाहिए खासकर उन लोगों में जिनमें इस समस्या के होने की संभावना अधिक हो उन्हें अक्सर जांच करवा लेनी चाहिए-
हायपो-थायराईडिज्म(Haypo-Thayraidijm) महिलाओं में 60 की उम्र को पार कर जाने पर अक्सर देखा जाता है जबकि हायपर-थायराईडिज्म 60 से ऊपर की महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही पाया जा सकता है- हाँ ,दोनों ही स्थितियों में रोगी का पारिवारिक इतिहास अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू होता है-
थायराइड(Thyroid)नेक-टेस्ट क्या है-
आईने में अपने गर्दन के सामने वाले हिस्से पर अवश्य गौर करें और यदि आपको कुछ अलग सा महसूस हो रहा हो तो चिकित्सक से अवश्य ही परामर्श लें-अपनी गर्दन को पीछे की और झुकायें और थोड़ा पानी निगलें और कॉलर की हड्डी के ऊपर एडम्स-एप्पल से नीचे कोई उभार नजर आये तो इस प्रक्रिया को एक दो बार दुहरायें और तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें-
थायराइड(Thyroid)की समस्या को कैसे जाने-
यदि आपके चिकित्सक को आपके थायराइड(Thyroid)ग्रंथि से सम्बंधित किसी समस्या से पीड़ित होने का शक उत्पन्न होता है तो आपके रक्त की जांच ही एकमात्र सरल उपाय है -
टी .एस .एच (थायराइड-स्टिमुलेटिंग-हारमोन ) के स्तर की जांच इस में महत्वपूर्ण मानी जाती है - टी .एस .एच. - एक मास्टर हार्मोन है जो थायराईड ग्रंथि(Thyroid gland) पर अपना नियंत्रण बनाए रखता है यदि टी. एस .एच .का स्तर अधिक है तो इसका मतलब है आपकी थायराइड ग्रंथि कम काम (हायपो-थायराडिज्म ) कर रही है और इसके विपरीत टी. एस .एच का स्तर कम होना थायराइड ग्रंथि के हायपर-एक्टिव होने (हायपर-थायराईडिज्म) की स्थिति की और इंगित करता है चिकित्सक इसके अलावा आपके रक्त में थायराइड हारमोन टी .थ्री .एवं टी .फोर . की जांच भी करा सकते है-
हायपो-थारायडिज्म का एक प्रमुख कारण हाशिमोटो-डिजीज होता है यह एक ऑटो-इम्यून-डीजीज है जिसमें शरीर खुद ही थायराइड ग्रंथि को नष्ट करने लग जाता है जिस कारण थायराइड(Thyroid)ग्रंथि “थायराक्सिन” का निर्माण नहीं कर पाती है-इस रोग का पारिवारिक इतिहास भी मिलता है -
हाशिमोटो-डिजीज के कारण उत्पन्न हायपो-थारायडिज्म-
हायपो-थारायडिज्म का एक प्रमुख कारण हाशिमोटो-डिजीज होता है यह एक ऑटो-इम्यून-डीजीज है जिसमें शरीर खुद ही थायराइड ग्रंथि को नष्ट करने लग जाता है जिस कारण थायराइड(Thyroid)ग्रंथि “थायराक्सिन” का निर्माण नहीं कर पाती है-इस रोग का पारिवारिक इतिहास भी मिलता है -
Hypothyroidism के अन्य कारण-
पीयूष ग्रंथि (PITUITARY GLAND) टी. एस .एच (थायराइड-स्टिमुलेटिंग-हारमोन) को उत्पन्न करती है जो थायराइड की कार्यकुशलता के लिए जिम्मेदार होता है अतः पीयूष ग्रंथि (PITUITARY GLAND)के पर्याप्त मात्रा में टी. एस .एच उत्पन्न न कर पाने के कारण भी हायपो-थायराईडिज्म उत्पन्न हो सकता है इसके अलावा Thyroid-थायराइड ग्रंथि पर प्रतिकूल असर डालने वाली दवाएं भी इसका कारण हो सकती हैं -
हायपर-थायराईडिज्म का एक प्रमुख कारण ग्रेव्स डीजीज होता है यह भी एक ऑटो-इम्यून डीजीज है जो थायराइड ग्रंथि पर हमला करता है इससे थायराइड ग्रंथि से “थायराक्सिन” हार्मोन का निर्माण बढ़ जाता है और हायपर-थायराईडिज्म की स्थिति पैदा हो जाती है जिसकी पहचान व्यक्ति की आँखों को देखकर की जा सकती है जो नेत्रगोलक से बाहर की ओर निकली सी प्रतीत होती हैं-
Graves Disease के कारण हायपर-थायराईडिज्म-
हायपर-थायराईडिज्म का एक प्रमुख कारण ग्रेव्स डीजीज होता है यह भी एक ऑटो-इम्यून डीजीज है जो थायराइड ग्रंथि पर हमला करता है इससे थायराइड ग्रंथि से “थायराक्सिन” हार्मोन का निर्माण बढ़ जाता है और हायपर-थायराईडिज्म की स्थिति पैदा हो जाती है जिसकी पहचान व्यक्ति की आँखों को देखकर की जा सकती है जो नेत्रगोलक से बाहर की ओर निकली सी प्रतीत होती हैं-
प्रस्तुति-
STJ- Chetna Kanchan Bhagat
Whatsup-8779397519
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Test karne ke pahle dabai kani chaiye ya nahi
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