Why has Diseases Increased Today
आज से पहले पचास वर्ष पूर्व देखें तो लोगो की आयु क्यों जादा होती थी क्यूंकि उनका खान-पान शुद्ध हुआ करता था हर व्यक्ति पैदल या सायकिल से जादा चलता था इस कारण से उसका शारीरिक एक्सरसाइज भी हो जाता था तथा भोजन भी आसानी से पच जाया करता था पहले के लोग सुबह बिस्तर से जल्दी उठ जाते थे क्युकि सुबह की शुद्ध हवा शरीर को तरोताजा रखती थी-
पहले हमारे घर की महिलाये मुँह अँधेरे उठ जाती थी और अपने ही हाथो से घर का सारा काम करती थी कपडे घोने से लेकर खाना बनाने तक का सारा काम तथा मेहमान नवाजी में भी पहले के लोग अपना अहोभाग्य समझा करती थी क्योंकि उसमे सामने वाले की तृप्त आत्मा से दुआ निकलती थी तब इन रिश्तो का मतलब बेमानी नहीं हुआ करता था-
लेकिन आज के वक्त में 9 बजे बहु या पत्नी को बेड टी की अपेक्षा हमेशा दुसरो से ही होती है तथा नास्ता में मेगी, पास्ता, मैकरोनी ने जगह ले ली है जिसमे सबसे जादा पेट को नुकसान करने के गुण पाये जाते है लेकिन अब इनको कौन समझाए आज की जनरेशन को क्युकि समझना तो उनके लिए दूर की बात है आखिर एक दूसरे की देखा-देखी प्रतियोगिता जो चल रही है यदि सामने वाला कर रहा है तो वो भला कैसे पीछे रह सकते है-
घर में गृह लक्ष्मी को काम नहीं करना पड़े इसलिए आजकल सभी को नौकरानी चाहिए-जब पत्नियाँ सेवा भाव से बच रही है तो फिर पति से वफादारी की अपेक्षा करना भी बेमानी ही है और इसलिए आज-कल पतियो को भी नॉकरानी से जादा प्यार बढ़ रहा है जब कपडा वाशिंग मशीन धोएगी तो भला पति श्री मति जी से क्यों पूछेगा क्या आज जादा थक गई हो?
अब तो महिलाओं के हाथ में टी वी का रिमोट और सीरियल भी कैसे देखना है-सास-बहूं-नन्द के झगड़ो का या सावधान इंडिया, क्राइम पेट्रोल जैसे सीरियल का मजा तो आखिर मानसिकता पर भी धीरे-धीरे यही असर होने के साथ-साथ मोटापा किसका बढेगा-फिर शुरू होते है नए-नए रोगों की शुरुवात और फिर जाने लगता है घर की आमदनी डॉक्टर के पास-आखिर पति प्यार करता है तो खर्च तो करना ही पड़ेगा-
सीरियल से बहुत से लोगों को लाभ की जगह हानि की संभावना जादा देखी जा रही है ठीक है सावधानी रखना आवश्यक भी है लेकिन कुछ लोगों में विकृत मानसिकता भी समांती जा रही है इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है घर में आधुनिक संसाधन ने पत्नी के काम का बोझ पति परमेश्वर जी ने तो कम कर दिया लेकिन इसके बदले में घर में बैठे रहने से रोगों का ट्रान्सफर कितना हुआ ये भी तो सोचें-क्योंकि शरीरिक एक्सरसाइज तो है ही नहीं-तो बी.पी-मोटापा-शुगर-माइग्रेन जैसी बीमारियां मजदुर वर्ग को थोड़े आने वाली है-वो तो आज भी मेहनत करने के बाद सुख की नींद सोता है-

यदि आप को बीमारी से बचना है तो घर में सब सुख-साधन होने के बाद भी कुछ न कुछ शारीरिक मेहनत करना चाहिए जिससे आलस्य भी कम होगा और रोगों की प्रधानता भी कम हो जायेगी अपने जीवन का एक चार्ट निर्धारित करे और पूरी निष्ठा से उसका पालन करे आपको बिना किसी दवा के निश्चित मानिए साठ प्रतिशत रोगों से निजात अपने आप मिल जायेगी और जितना हो सके जंक फ़ूड ,रेडी टू ईट , से बचना चाहिए-
जिसे आज का युवा जिसे (अपने बुजुर्ग) बेकफुट पे ले जा रहा है वास्तव में वो दूसरे को नहीं खुद को ही धोखा दे रहा है-जिद और कलह से बचने के लिए बुजुर्गो ने अपने मुंह को तो बंद करना सीख लिया है लेकिन कही ऐसा तो नहीं आपको जो उनसे प्राप्त हो सकता था वो आप खोते जा रहे है-
अब भी समय है खुद को सक्षम बनाने का कुछ पल के लिए सोचो और अपने बुजुर्गो को सम्मान देते हुए कुछ लेने का प्रयास करे हो सकता है लाख की चीज आपको सिर्फ कौड़ियो के भाव में ही मिल जाए -
हम नहीं कहते है की इश्वेर ने आपको जो सुख साधन दिया है आप उसका उपयोग न करे बस मेरा निवेदन ये है कि अगर आप कृत्रिम सुख साधन के उपयोग को करे तो कभी शारीरिक एक्सरसाइज हो इसका भी प्रयास करते रहना चाहिए-क्युकि ये सलाह तो मेरी हो सकती है मगर आखिर शरीर तो आपका है ....?
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