Herbal Uses of Amerbel
अमरबेल (Amerbel) का वनस्पतिक नाम कस्कूटा रिफ़्लेक्सा (Cuscuta Reflexa) है अमरबेल बिना जड़ का पीले रंग का परजीवी पौधा है यह पेड़ों के ऊपर अपने आप उग आती है और बिना जड़ के पौधों पर ऊपर की ओर चढ़ता है इसमें गुच्छों में सफेद फूल लगे होते हैं इसको आकाशबेल, अमरबेल, अमरबल्लरी भी कहते हैं-
ये जंगलों, सड़क, खेत खलिहानों के किनारे लगे वृक्षों पर परजीवी अमरबेल (Amerbel) का जाल अक्सर देखा जा सकता है वास्तव में जिस पेड़ पर यह लग जाती है वह पेड़ धीरे-धीरे सूखने लगता है इसकी पत्तियों मे पर्णहरिम का अभाव होता है जिस वजह से यह पीले रंग की दिखाई देती है-
इसमें पुष्प का आगमन वसंत में और फल का आगमन ग्रीष्म ऋतु में होता है इसकी लता और बीज का उपयोग औषधि के रूप में होता है इसके रस में कस्कुटीन (Cuscutien) नामक ऐल्केलायड, अमरबेलीन तथा पीताभ हरित वर्ण का तेल पाया जाता है इसका स्वाद तिक्त और काषाय होता है तथा इसका रस रक्तशोधक, कटुपौष्टिक तथा पित्त कफ को नष्ट करनेवाला होता है-
अमरबेल (Amerbel) में कई ऐसे दिव्य गुण पाए जाते हैं जिनसे रोगों का आसानी से घरेलू उपचार किया जा सकता है साथ ही कई रोगों के उपचार में भी इसका प्रयोग किया जाता है इसके अनेक औषधीय गुण भी है-
अमरबेल (Amerbel) के उपयोग-
1- अमरबेल के फूलों का गुलकंद बनाकर खाने से याददाश्त में वृद्धि होती है-
2- अमरबेल (Amerbel) को पानी में उबालकर उससे सूजन वाली जगह की सिकाई करें तो कुछ दिनों तक इसका इस्तेमाल करने पर सूजन कम हो जाती है-
3- इसके पत्तों का रस में सादा नमक मिलाकर दांतों पर मलने से दांत चमकीले होते हैं-
4- अमरबेल (Amerbel) की टहनी का दूध चेहरे पर लगाने से गजब का निखार आता है-
5- अमरबेल प्रयोग करने से महावारी भी नियमित होती है-
6- अमरबेल के चूर्ण को सोंठ और घी मिलाकर लेप करने से पुराना घाव भरता है या इसके बीजो को पीसकर पुराने घाव पर लेप करें-इससे घाव ठीक हो जाता है-
7- पूरे पौधे का काढ़ा घाव धोने के लिए बेहतर है और यह टिंक्चर की तरह काम करता है यह काढा घावों पर लगाया जाए तो यह घाव को पकने नहीं देता है-
8- बरसात में पैर के उंगलियों के बीच सूक्ष्मजीवी संक्रमण या घाव होने पर अमरबेल पौधे का रस दिन में 5-6 बार लगाया जाए तो आराम मिल जाता है-
9- अमरबेल को कुचलकर इसमें शहद और घी मिलाकर पुराने घावों पर लगाया जाए तो घाव जल्दी भरने लगता है यह मिश्रण एंटीसेप्टिक की तरह कार्य करता है-
10- किसी भी प्रकार की खुजली हो अमरबेल को पीसकर उस पर इस लेप करने से खुजली खत्म हो जाती है-
11- पेट फूलने एवं आफरा होने पर इसके बीज जल में उबालकर पीस लें तथा इसका गाढ़ा लेप पेट पर लगाने से आफरा और उदर की पीड़ा खत्म होती है-
12- खून की खराबी होने पर कोमल ताजी फलियों के साथ तुलसी की चार-पांच पत्तियां चबा-चबाकर चूसना चाहिए-
13- इसके पत्तों का रस पीने से मूत्र संबंधी विकार दूर होते हैं-
14- इसके बीजों और पूरे पौधे को कुचलकर आर्थराईटिस के रोगी को दर्द वाले हिस्सों पर पट्टी लगाकर बाँध देते है तो इनके अनुसार यह दर्द निवारक की तरह कार्य करता है-
15- गंजेपन को दूर करने के लिए यदि आम के पेड़ पर लगी अमरबेल को पानी में उबाल लिया जाए और उस पानी से स्नान किया जाए तो बाल पुन: उगने लगते है-डाँग के आदिवासी अमरबेल को कूटकर उसे तिल के तेल में 20 मिनट तक उबालते हैं और इस तेल को कम बाल या गंजे सर पर लगाने की सलाह देते है-आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार यह तेल बालों के झडने का सिलसिला कम करता है और गंजे सिर पर भी बाल लाने में मदद करता है-
16- 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें और जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें तथा सुबह इससे बालों को धोयें तो इससे बाल लंबे होते हैं-
प्रस्तुती- Satyan Srivastava
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upyogi jaankari !
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