चाय के फायदे-नुकसान (Benefits-Losses of Tea)-
सच कहा जाए तो चाय नित्य पीने के लिए नहीं बनी है। नित्य चाय (Tea) पीने की आदत होने पर चाय बहुत हानि पहुँचाती है। यह आवश्यकतानुसार पीने पर ही लाभदायक है। यह ठण्डी जलवायु एवं ठण्डी प्रकृति वालों के लिए हितकारी है। भूखे पेट चाय पीने से पाचन-शक्ति खराब होती है एवं सोते समय पीने से नींद कम आती है। हाँ ये भी सच है कि कुछ इसके फायदे भी है और कुछ नुकसान भी है। चलिए थोडा सा इस पर प्रकाश डालते है...
चाय के फायदे-नुकसान (Benefits-Losses of Tea)-
1- बालों में ज्यादा देर तक शैम्पू लगाये रखने से रूसी कम होने के बजाय बढ़ती है। जबकि चाय के पानी से बाल धोने से बाल गिरना बन्द होता हैं। आप चाय (Tea) पत्ती उबालकर उसके पानी को छानकर फ्रिज में रख लें और हमेशा बालों को धोने के बाद इस पानी को बालों में कंडीशनर की तरह लगायें। इससे आपके बालों में चमक बढ़ेगी।
2- जिनको दस्त और मरोड़ की शिकायत होती है वो एक चम्मच चाय की पत्ती और चौथाई चम्मच नमक दोनों को पीसकर इसके तीन भाग करके दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ फंकी लें। ऐसा कुछ दिन नित्य करें। मरोड़ देकर होने वाले दस्तों में आपको लाभ होगा।
3- यदि आपको कोलेस्ट्रॉल की शिकायत है तो चाय (Tea) पीने से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। चाय रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम कर देती है।
4- अत्यधिक चाय (Tea) के सेवन से हड्डियों के जोड़ों में दर्द, दाँतों का पीलापन, अवसाद, तनाव आदि बीमारियाँ हो सकती हैं। चाय के एक प्याले में 18.13 पीपीएम फ्लोराइड होता है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1.5 पीपीएम फ्लोराइड ही उचित है। फ्लोरोसिस के अत्यधिक सेवन से हड्डियों के जोड़ों में दर्द, कमजोरी आदि की शिकायत होना आम है।
5- फ्लोराइड की अधिक मात्रा शरीर में मौजूद लाल रक्त कणिकाओं के इर्द-गिर्द जमा होकर ऑक्सीजन का वितरण सही तरीके से नहीं होने देती है। इन कणिकाओं में ऑक्सीजन की कमी से थकान आना प्राथमिक चरण है फिर धीरे-धीरे फ्लोराइड हड्डियों का क्षरण कर देता है जिससे जोड़ों का दर्द शुरू हो जाता है। कई बार फ्लोराइड गुर्दो में प्रवेश कर जाता है जिससे मूत्र त्यागने में परेशानी हो जाती है। 12 साल तक के बच्चों में फ्लोरोसिस बीमारी का इलाज संभव है। फ्लोरोसिस बीमारी में विटामिन ‘सी’ तथा ‘डी’ ही सर्वाधिक कारगर है।
6- चाय (Tea) आपके पेशाब में यूरिक अम्ल बढ़ाती है। यूरिक अम्ल से गठिया, जोड़ों की सूजन बढ़ती है। अत: वात रोगियों को चाय नहीं पीना चाहिए।
7- चाय को ज्यादा देर तक उबालने से उसमें टैनिन नामक रसायन निकलता है जो पेट की भीतरी दीवार पर जमा हो जाता है। जिससे भूख लगना बन्द हो जाती है।
होम्योपैथी उपचार (Homeopathy Treatment)-
होम्योपैथिक दवा थिया चिनेन्सिस (Thea chinensis) चाय से बनी है। यह चाय (Tea) अधिक पीने के दुष्परिणाम जैसे अजीर्ण, अनिद्रा, कमजोरी, हृदय की अधिक धड़कन, पेट में वायु होना, मन्दाग्नि आदि दूर करती है। आप यह 30 शक्ति में पाँच खुराक लें।
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