Ajeeb Holi of Shahjahanpur (शाहजहांपुर की अजीब होली)-
भारतवर्ष में होली (Holi) सभी लोग मनाते है। मगर क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में एक अजीब तरह की होली मनाई जाती है। यहाँ एक प्रकार की गजब की होली मनाते है। एक नवाब को पहले शराब पिलाई जाती है और फिर उन पर जूते और झाड़ू की बरसात की जाती है। ये लोगों के लिए बेहद हैरान करने वाली होली है।
जी हाँ-उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जैसी होली (Holi) मनाई जाती है वो वास्तव में लोगों के लिए बेहद चौंकाने और हैरान करने वाली है। यहाँ ये प्रथा कई सालों से चली आ रही है। यहाँ होली पर लाट-साहब यानि होली के नवाब का एक अजीबो-गरीब जुलूस निकालने की परंपरा अंगेजों के समय से चली आ रही है।
इस जुलूस में होली (Holi) के दिन रंग और मस्ती के बीच जूतों की माला पहने बैलगाड़ी पर सवार एक शख्स को पूरे शहर में घुमाया जाता है तथा हर घर के बाहर इन नवाब साहब का स्वागत झाड़ू और चप्पलों से होता है। हर साल इस जुलुस को बड़ी शान से निकाला जाता है।
इस जलूस की शुरुवात चौक कोतवाली से होती है और पूरे फिर ये जलूस पूरे शहर में घुमाते है तथा फिर वापस इस ये जलूस चौक आता हैं। वैसे तो इस जुलुस का कई लोगों और समुदाय ने विरोध भी किया है। लेकिन परंपरा आज भी जारी है इस जुलूस के खत्म होते ही यहां रंग खेलना बंद कर दिया जाता है।
नवाब साहब का चुनाव (Election of Nawab Sahib)-
होली (Holi) से एक दिन पहले स्थानीय लोग आपस में मिलकर एक लाट साहब या फिर नवाब चुनते हैं। अक्सर गरीब ही लाट साहब बनने के लिए तैयार होते हैं वो पैसा कमाने के लिए इसे एक नौकरी के तौर पर करते हैं। इस काम के लिए लाट साहब को अच्छे पैसे दिए जाते हैं तथा एक दिन पहले से ही लाटसाहब को नशा कराया जाता है। ये बहुत पुरानी परंपरा है जो अंग्रेजों के समय से चलती आ रही है। जब यहां की जनता पर अंग्रेजों ने राज किया फिर जब आजाद हुए तो ख़ुशी ज़ाहिर करने के लिए लाटसाहब का जलूस निकाला गया। ये जुलूस सबसे पहले शहर कोतवाली जाता है। जहां से सलामी के बाद जुलूस शहर के जेल रोड से थाना सदर बाजार और टाउन हॉल मन्दिर जाता है। इस बीच लाटसाब के सिर पर झाड़ू और चप्पलें मारी जाती हैं।
नवाब साहब का चयन करते समय एक बात को बहुत गुप्त रक्खा जाता है कि नवाब साहब किस धर्म का है ताकि किसी भी समुदाय की भावना आहत न हो। इस जलूस में सभी वर्ग की महिलायें पुरुष शामिल होते है। ये बात शायद सुनने में अजीब ही है। लेकिन ये परम्परा आज भी जारी है।
जिस व्यक्ति को नवाब बनाना होता है उसकी तलाश कई दिन पहले से शुरू कर दी जाती है और वो शख्स खासतौर पर मुस्लिम होता है। उसे बेहद गोपनीय ढंग से छुपा कर रखा जाता है और उसकी खूब खातिरदारी की जाती है। यहां तक की उसे शराब के नशे में धुत रखते हैं तथा रंग वाले दिन एक भैंसा गाड़ी पर एक तख्त बांध कर उसके ऊपर कुर्सी बांधते हैं और फिर उस पर नवाब को बैठाकर उसके सर पर लोहे का तवा बांधकर दोनों तरफ एक-एक आदमी उसके दाएं-बाएं जूता और झाड़ू लेकर खड़ा होता है। फिर एक आदमी जूता मारता और एक झाड़ू मारता जाता है और जोर से बोलता है (बोल नवाब साहब आए) जलूस खत्म होने के बाद उस ब्यक्ति को नये कपड़े और रुपये देकर छोंड़ देते हैं।
लाटसाब का जुलूस में को सही प्रकार संम्पन्न हो। इसके लिए पुलिस और प्रशासन भी काफी सतर्क रहता है। क्योंकि जुलुस में काफी भीड़ होती है पुलिस प्रशासन को एक महीना पहले से ही जुलूस को शान्तिपूर्ण ढंग से ख़त्म करने के लिए पूरी मशक्कत करनी पड़ती है। भारत में ये होली बिलकुल अलग प्रकार से सबसे ज्यादा संवेदनशील होली मानी जाती है।
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