What is Treatment Retinitis Pigmentosa-
रतौंधी(Retinitis Pigmentosa)आंखों में होने वाली एक प्रकार की बीमारी है रतौंधी रोग में शाम होते ही अचानक दिखना बंद हो जाता है और जैसे ही सुबह सूरज निकलता है आंखें बिल्कुल सामान्य सी हो जाती है इसके गिरफ्त में जादातर गरीब व कम आय के लोग आते हैं क्योंकि ऐसे लोग पौष्टिक आहार से दूर रहते हैं-
रतौंधी(Retinitis Pigmentosa)आंखों में होने वाली एक प्रकार की बीमारी है रतौंधी रोग में शाम होते ही अचानक दिखना बंद हो जाता है और जैसे ही सुबह सूरज निकलता है आंखें बिल्कुल सामान्य सी हो जाती है इसके गिरफ्त में जादातर गरीब व कम आय के लोग आते हैं क्योंकि ऐसे लोग पौष्टिक आहार से दूर रहते हैं-
यदि इस रोग की चिकित्सा से अधिक विलम्ब किया जाए तो रोगी को पास की चीजें बिल्कुल दिखाई नहीं देतीं तथा रतौंधी के रोगी तेज रोशनी में ही थोडा़-बहुत देख पाता है रोगी बिना चश्में के कुछ नहीं देख पाता है आइये जानते है कि रतौंधी(Retinitis Pigmentosa)को किन घरेलू उपचार से दूर किया जा सकता है तथा इसमें क्या परहेज की आवश्यकता है-
आँखों में लगाने वाली औषधियाँ-
1- शंखनाभि, विभीतकी, हरड, पीपल, काली मिर्च, कूट, मैनसिल, खुरासानी बच ये सभी औषधियाँ समान मात्रा में लेकर बारीक कूट-पीसकर कपड़छान चूर्ण बना लें इस चूर्ण को बकरी के दूध में मिलाकर बत्तियाँ बना लें ये दवा इतनी बारीक हो कि बत्तियाँ खुरदरी न होने पाएँ अब इन बत्तियों को चकले या चिकने पत्थर पर रोजाना रात को पानी में घिसकर आँखों में लगाने से Retinitis Pigmentosa रतौंधी रोग ठीक हो जाता है-
2- चमेली के फूल, नीम की कोंपल (मुलायम पत्ते), दोनों हल्दी और रसौत को गाय के गोबर के रस में बारीक पीस कपड़े से छानकर आँखों में लगाने से Retinitis Pigmentosa रतौंधी रोग दूर हो जाता है-
3- रीठे की गुठली को यदि स्त्री के दूध में घिसकर आँखों में लगाएँ तो यह भी रतौंधी में काफी फायदेमंद होता है-
4- सौंठ, हरड़ की छाल, कुलत्थ, खोपरा(सूखा नारियल), लाल फिटकरी का फूला, माजूफल नामक औषधियाँ पाँच-पाँच ग्राम लेकर बारीक पीस लें अब आप इसमें ढाई-ढाई ग्राम की मात्रा में कपूर, कस्तूरी और अनवेधे मोती को मिलाकर नींबू का रस डालकर पाँच-सात दिन खरल करें तथा फिर इसकी गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें और इस गोली को गाय के मूत्र में घिसकर लगाने से रतौंधी रोग में फायदा होता है और यदि इसे स्त्री के दूध में घिसकर लगाया जाए तो आँख का फूला (सफेद दाग) व पुतली की बीमारियाँ भी दूर हो जाती हैं-
5- करंज बीज, कमल केशर, नील कमल, रसौत और गैरिक 5-5 ग्राम लेकर पावडर बना लें तथा इस पावडर को गो मूत्र में मिलाकर बत्तियां बनाकर रख लें तथा इसे रोजाना सोते समय पानी में घिसकर आंखों में लगाने से Retinitis Pigmentosa रतौंधी रोग में काफी लाभ होता है-
खाने वाली औषधियाँ-
1- 50 ग्राम अमलकी, 50 ग्राम मुलैठी, 25 ग्राम बहेड़ा, 12.5 ग्राम हरीतकी, 5 ग्राम पीपल, 5 ग्राम सेंधा नमक और 150 ग्राम शकर लेकर बारीक पावडर बनाकर कपड़छान कर लें अब इसमें से 3 से 5 ग्राम की मात्रा लेकर गाय के घी या शहद के साथ लगभग 6 से 8 हफ्ते तक सेवन करें-इसका सेवन आँखों की कई बीमारियों(रतौंधी, फूला, जलन व पानी बहना आदि)में काफी फायदेमंद होता है जरूरत के मुताबिक इस औषधि को 8 हफ्ते से भी ज्यादा समय तक सेवन किया जा सकता है-
2- इसके अलावा कुपोषणजन्य या विटामिन 'ए' की कमी से होने वाले रतौंधी रोग में अश्वगंधारिष्ट, च्यवनप्राश, शतावरीघृत, शतावरी अवलेह, अश्वगंधाघृत व अश्वगंधा अवलेह काफी फायदेमन्द साबित हुए हैं-
रतौंधी में लाभकारी पत्ते-
1- रतौंधी(Retinitis Pigmentosa)के रोगी को चाहिए कि वह अतिमुक्त, अरंड, शेफाली, निर्र्गुण्डी व शतावरी के पत्तों की सब्जी देसी घी में अच्छी तरह पकाकर खाएँ तथा अगधिया के पत्ते की सब्जी भी रतौंधी में काफी फायदेमंद होती है-
2- बबूल के पत्ते व नीम की जड़ का काढ़ा पीना भी रतौंधी में काफी लाभ पहुंचाता है यह काढ़ा बना बनाया बाजार में भी मिलता है-
आयुर्वेदिक इलाज-
1- रतौंधी की सबसे सस्ती व अच्छी चिकित्सा चौलाई का साग है चौलाई की सब्जी भैंस के घी में भूनकर रोजाना सूर्यास्त के बाद आप जितनी खा सकें अवश्य ही खाएँ लेकिन इसके साथ रोटी, खिचड़ी न खाएँ-इसका सेवन विश्वास के साथ लम्बे समय तक करने से रतौंधी रोग(Retinitis Pigmentosa)में फायदा होता है-
2- रतौंधी के रोगी को सहिजन(सुरजना फली) के पत्ते व फली, मेथी, मूली के पत्ते, पपीता, गाजर और लौकी व कद्दू का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिये तथा गूलर व अंजीर के फलों का भी उचित मात्रा में सेवन फायदेमन्द होता है-
3- गोमूत्र में छोटी पीपल घिसकर आँखों में प्रतिदिन अंजन करें-
4- "आइसोटीन" आई ड्रॉप्स से अनगिनत नेत्ररोगियों का बिना सर्जरी के इलाज संभव हो सका है दस सालों के परीक्षण में नेत्र रोगियों पर इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं इस आयुर्वेद के इस अनुसंधान से सभी प्रकार के नेत्र रोगों का इलाज बिना सर्जरी के करना संभव हो गया है पहले व दूसरे स्तर की सर्जरी की स्थिति को आइसोटीन के इस्तेमाल से टाला जा सकता है-मोतियाबिंद, रतौंधी, डायबिटिक रेटिनोपैथी, रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा, निकट दृष्टि, दूरदृष्टि एवं मैक्यूलर डिजेनरेशन से पीड़ित मरीजों को बगैर ऑपरेशन की इस आयुर्वेदिक चिकित्सा से काफी राहत मिलती है प्रथम व दूसरे चरण तक के रोगियों को सर्जरी से निजात दिलाई जा सकती है-
रतौंधी में क्या सेवन करें-
1- प्रतिदिन काली मिर्च का चूर्ण घी या मक्खन के साथ मिसरी मिलाकर सेवन करने से रतौंधी नष्ट होती है-
2- प्रतिदिन टमाटर खाने व रस पीने से रतौंधी का निवारण होता है-
3- आंवले और मिसरी को बारबर मात्रा में कूट-पीसकर 5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करें तथा हरे पत्ते वाले साग पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई आदि की सब्जी बनाकर सेवन करें-
4- अश्वगंध चूर्ण 3 ग्राम, आंवले का रस 10 ग्राम और मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम मिलाकर जल के साथ सेवन करें-
5- मीठे पके हुए आम खाने से विटामिन ‘ए’ की कमी पूरी होती है तथा इससे रतौंधी नष्ट होती है-
6- सूर्योदय से पहले किसी पार्क में जाकर नंगे पांव घास पर घूमने से भी रतौंधी नष्ट होती है-
7- शुद्ध मधु नेत्रों में लगाने से रतौंधी नष्ट होती है-
8- किशोर व नवयुवकों को रतौंधी से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें भोजन में गाजर, मूली, खीरा, पालक, मेथी, बथुआ, पपीता, आम, सेब, हरा धनिया, पोदीना व पत्ता गोभी का सेवन कराना चाहिए-
रतौंधी में क्या न सेवन करें-
1- चाइनीज व फास्ट फूड का सेवन न करें तथा उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन से अधिक हानि पहुंचती है-
2- अधिक उष्ण जल से स्नान न करें तथा आइसक्रीम, पेस्ट्री, चॉकलेट नेत्रो को हानि पहुंचाते है और अधिक समय तक टेलीविजन न देखा करे-
3- रतौंधी के रोगी को धूल-मिट्टी और वाहनों के धुएं से सुरक्षित रहना चाहिए तथा रसोईघर में गैंस के धुएं को निष्कासन करने का पूरा प्रबंध रखना चाहिए-
4- आप भूल कर भी खट्टे आम, इमली, अचार का सेवन न करें-
क्या रतौधी को जड से समाप्त किया जा सकता है?
जवाब देंहटाएंMain0ratondhi ka upchar chahta hun
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