Why do Rituals Politician of Bagulamukhi Devi
माँ पीताम्बरा बगलामुखी (Bagalamukhi) देवी का स्वरूप रक्षात्मक है पीताम्बरा पीठ मन्दिर के साथ एक ऐतिहासिक सत्य भी जुड़ा हुआ है जब सन् 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया था उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे भारत के मित्र देशों रूस तथा मिस्र ने भी सहयोग देने से मना कर दिया था और तभी किसी योगी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से स्वामी महाराज से मिलने को कहा था उस समय नेहरू दतिया आए और स्वामीजी से मिले-
स्वामी महाराज ने राष्ट्रहित में एक यज्ञ करने की बात कही और इस यज्ञ में सिद्ध पंडितों, तांत्रिकों व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यज्ञ का यजमान बनाकर बगुलामुखी (Bagalamukhi) देवी का यज्ञ प्रारंभ किया गया था और यज्ञ के नौंवे दिन जब यज्ञ का समापन होने वाला था तथा पूर्णाहुति डाली जा रही थी ठीक उसी समय 'संयुक्त राष्ट्र संघ' का नेहरू जी को संदेश मिला कि चीन ने आक्रमण रोक दिया है मन्दिर प्रांगण में वह यज्ञशाला आज भी बनी हुई है-
इनकी साधना अथवा प्रार्थना में आपकी श्रद्धा और विश्वास असीम हो तभी मां की शुभ दृष्टि आप पर पड़ेगी इनकी आराधना करके आप जीवन में जो चाहें जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं-
आजकल बगुलामुखी (Bagalamukhi) देवी की सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता है वरन उसे मनमाना कष्ट पहुंचा सकता है वर्ष 2004 के चुनाव में तो कई राजनेताओं जिनका नाम लेना उचित नहीं है ने माता बगलामुखी की आराधना करके (पंडितों द्वारा) चुनाव भी जीते और अच्छे मंत्रालय भी प्राप्त किये-
माता (Bagalamukhi) की यही आराधना युद्ध, वाद-विवाद मुकदमें में सफलता, शत्रुओं का नाश, मारण, मोहन, उच्चाटन, स्तम्भन, देवस्तम्भन, आकर्षण कलह, शत्रुस्तभन, रोगनाश, कार्यसिद्धि, वशीकरण व्यापार में बाधा निवारण, दुकान बाधना, कोख बाधना, शत्रु वाणी रोधक आदि कार्यों की बाधा दूर करने और बाधा पैदा करने दोनों में की जाती है-लेकिन गृहस्थ व्यक्ति को इनकी उपासना किसी की हानि करने का विचार करके नहीं करनी चाहिए-
साधक अपनी इच्छानुसार माता Bagalamukhi को प्रसन्न करके इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है जैसा कि हमने पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि माता श्रद्धा और विश्वास से आराधना (साधना) करने पर अवश्य प्रसन्न होंगी बस लेकिन ध्यान रहे इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य परमावश्यक है-
मेरा अनुभव निजी (Personal) अनुभव-
आपके लिए पहली बार इस लेख में इस लिए उल्लेख कर रहा हूँ क्युकि मेने भी इस विद्या का अपने जीवन में समावेश किया है और पूरे जीवन में मैने खुद को आजतक सुरक्षित ही पाया है कितना भी बलवान शत्रु हो कोई कितना भी आपका अनिष्ट चाहने वाला हो आपका बाल बांका भी नहीं कर सकेगा हमने विधान पूर्वक साधना का प्रयोग किया था और वास्तव में हमने अपने जीवन कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति भी प्राप्त की थी कई शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी जो शत्रु सक्रिय थे उन्हें वापस मुंह की खानी पड़ी थी ये प्रयोग हमने सन 1991 में इलाहबाद में किया था परन्तु अब समय अभाव के कारण अब तो विधिवत साधना तो नहीं कर पाता हूँ अपितु आज भी दैनिक जीवन में माला-मन्त्र का प्रयोग आज भी लगातार करता चला आ रहा हूँ और मेरे जीवन में ये चमत्कार है कि माता की कृपा बनी है और कोई भी कष्ट नहीं मिला है-
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