Home Remedies of Pathri
पथरी (Pathri) शुरुआत में मामूली सा लगने वाला रोग है और आजकल यह आम लोगों में होने लगा है आयुर्वेद में इसे अश्मरी कहा जाता है इससे मूत्र नलिका में दर्द और सूजन आती है तथा पेशाब करते समय पीड़ा व रुक-रुक कर पेशाब होना व कभी-कभी पथरी टूट के अंदरूनी भाग को घायल कर दे तो रक्त युक्त पेशाब भी होता है-
यदि यह रोग पुराना हो जाए तब मूत्राशय के आसपास दर्द, कमर दर्द, नाभि के आसपास दर्द तथा जीर्ण अश्मरी से सर दर्द होने की समस्या रहती है यह दर्द जब पुराना हो जाए और पथरी (Pathri) का साइज बढ़ जाता है तब घबराहट, ज्यादा पसीना आना, उल्टी, पेट दर्द, पेडू में सूजन, बुखार, अंडकोश में दर्द तथा मूत्र की रुकावट जैसी समस्याएं हो सकती है-
पथरी (Pathri) होने के कारण-
1- मूत्र का वेग रोकने की आदत आजकल कामकाजी महिला और पुरुषों में यह आदत आम हो गई है लंबे सफर और व्यस्तता के चलते मूत्र विसर्जन ना करना पथरी (Pathri) रोग का मुख्य कारण है या फिर ज्यादा मीठे पदार्थ खाने से मूत्राशय कमजोर हो जाता है-
2- मदिरापान ओर ज्यादा क्षारीय पदार्थो के सेवन से से भी पथरी (Pathri) रोग होता है-
3- संभोग के समय ज्यादा देर तक जबर्दस्ती वीर्य को रोकने से से भी ये रोग कुछ लोगों में होने की संभावना होती है-
4- मूत्राशय में क्षारो के जमाव होने से या पित्तकारक द्रव्यों के सेवन से पथरी की समस्या होती है-
पथरी (Pathri) की घरेलू चिकित्सा-
1- गोखरू बीज का चूर्ण 5 ग्राम बकरी के दूध के साथ कुछ समय पिए-
2- गोखरू, पाषाणभेद, इलायची, शँखजीरा तथा मिश्री बराबर मात्रा में ले ओर इसका 5-5 ग्राम चूर्ण सुबह शाम पानी के साथ ले-
3- शतावरी की जड़ का रस 10 ग्राम तथा 5 ग्राम शक्कर के साथ पीए-
4- पाषाणभेद के क्वाथ में 5 ग्राम शक्कर ओर 1 ग्राम शिलाजीत डालकर पिए-
5- हल्दी का चूर्ण 5 ग्राम तथा गुड़ 5 ग्राम मिलाकर चावल के धोवन के साथ पीए-
6- 5 ग्राम अलसी को रात को 100ml पानी मे भिगो दें और सुबह छान कर पानी पिये-
विशेष सूचना-
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