How to clean Women Private Parts
आयुर्वेद में स्त्री सौंदर्य और स्त्री स्वास्थ्य पर कई औषधियाँ और चिकित्सा कर्म का उल्लेख है तथा शरीर की बाहरी देखभाल के साथ अंदरूनी देखभाल भी अत्यंत जरूरी होती है जिस तरह बाहरी शरीर की सफाई के लिए अभ्यंग स्नान, बाष्प स्नान जैसे चिकित्सा कर्म जरूरी है वैसे ही अंदरुनी अवयवों की सफाई लिए बस्ती, एनीमा, डूश और प्राइवेट पार्ट (Private Parts) प्रक्षालन जैसे चिकित्सा कर्म भी वर्णित है-
अधिकांश महिलाएं अपने गुप्तांग (Private Parts) को साफ रखने का ध्यान नहीं रख पाती हैं स्नान करते समय या शौच करते समय ऊपर से तो धुलाई हो जाती है पर गुप्तांग के अन्दरूनी मार्ग की धुलाई-सफाई नहीं हो पाती है परिणाम स्वरूप योनि मार्ग में शोथ (Inflammation), खुजली (Itching), जलन (Burning) या श्वेत प्रदर (Leuorrhoea) आदि कोई भी व्याधि पैदा हो सकती है-
स्नान के समय रोजाना गुप्तांग (Private Parts) के अन्दरूनी भाग (योनि मार्ग) को जितना सम्भव हो सके उतना धो कर साफ करना चाहिए चूँकि स्त्रियों की जनन अवयवों की कुदरती बनावट ऐसी है कि उन्हें इंफेक्शन का खतरा ज्यादा है जननांग खुले होने की वजह से यह संक्रमण कभी-कभी गर्भाशय तक भी पंहुच सकता है सम्भोग, माहवारी और प्रसूति इन कुदरति क्रियाओं के बाद भी योनी की सफाई और देखभाल जरूरी हो जाती है-
आज हम आपको शास्त्रोक्त योनि प्रक्षालन चिकित्सा के लाभ व विधि बताएंगे योनि प्रक्षालन यानि कि योनि के बाहरी व अंदरूनी भाग की औषधीय जल से सफाई कैसे होती है-इस चिकित्सा कर्म से योनि की सफाई तो होती ही है साथ ही संक्रमण से बचाव होता है तथा योनि की जलन, खुजली, सूजन मिटती है और श्वेत प्रदर या रक्त प्रदर में भी लाभ होता है योनि की होने वाली दुर्गंध भी दूर होती है और योनि के स्नायुओं तंतु को भी मजबूती मिलती है-
प्रक्षालन (Abnerval) सामग्री-
अशोक छाल
लोध्र छाल
वटजटा
पीपल जटा
जामुन छाल
बबूल छाल
निम छाल
आम छाल
त्रिफला (सभी औषधियों को 100-100 ग्राम लेकर जौकूट कर ले)
प्रक्षालन (Abnerval) विधि-
सबसे पहले आप रात को 25 से 30 ग्राम औषधि को एक लीटर पानी मे भिगोकर रखे तथा सुबह इसे उबाल कर आधा कर ले व इस औषधी काढ़े से योनि प्रक्षालन करें यानि धोए आप यह हफ्ते में एक या दो बार जरूरत के मुताबिक करे-
इससे योनि सम्बंधित समस्त रोग में आशास्पद लाभ होता है यहां बताई गई औषधियो का एंटीसेप्टिक इफ़ेक्ट्स भी है इसलिए इस काढ़े से गरारे करने पर मुख की दुर्गंध, गले के छाले, दांतो में पस या पायरिया जैसी तकलीफों में भी आश्चर्य जनक लाभ होता है-
एक और गुप्तांग की प्रक्षालन विधि-
अनार का सुखाया हुआ छिलका और लाल फिटकरी-दोनों समान मात्रा में लेकर खूब कूट पीस कर बारीक महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें तथा एक गिलास पानी में दो चम्मच चूर्ण डाल कर गरम करें फिर उतार कर जब कुनकुना गरम रहे तब आप छान लें डूश करने के उपकरण से इस पानी से गुप्तांग का प्रक्षालन (Vaginal Douche) करें-इस प्रयोग से योनि के सब विकार और दुर्गन्ध आना दूर हो जाता हैतथा पति के साथ सहवास करने में असुविधा और पीड़ा नहीं होती है यदि योनि में अन्दर घाव हो तो इस पानी को बिल्कुल ठण्डा करके इसमें दो चम्मच शहद डाल कर घोल बना कर फिर गुप्तांग का प्रक्षालन करें इससे घाव भी ठीक हो जाएंगे-
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किसी भी लेख को पढ़ने के बाद अपने निकटवर्ती डॉक्टर या वैद्य के परमर्श के अनुसार ही प्रयोग करें- धन्यवाद।
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Chetna Kanchan Bhagat Mumbai
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