Why fails Ayurvedic Prescriptions
आज ही एक मरीज का फोन आया था और बोल रहे थे कि मैडम जी में एक साल से चूर्ण खा रहा हूँ फिर भी शुगर ज्यो के त्यों ही है मेरे पूछने पर किसी वॉट्सऐप ग्रुप पर बड़े-बड़े दावों के साथ पोस्ट किया हुआ कोई इल्ली-मिल्ली नुस्खा बताया तब मैंने उनसे कहा कि अगर वॉट्सऐप पर या इंटरनेट पर कॉपी पेस्ट होने वाले नुस्खे यदि इतने कारगर होते तो अस्पताल तो कब के ही बंद हो गए होते और् सारे डॉक्टर्स बेरोजगारी से बुरी तरह जूझ रहे होते.. !
मेरे यहां कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना ही है कि हम हमारे अनमोल स्वास्थ के तरीके मुफ्त में क्यों खोज रहे है..? दूसरी बात यह कि आजकल हर कोई महंगी दवाई ओर मॉर्डन मेडिसिन की साइड इफेक्ट्स से भी त्रस्त है पर क्या हम आयुर्वेद (Ayurveda) या निसर्गोपचार (Naturopathy) को बढ़ावा मिले तथा निसर्गोपचार अपना कार्य उत्साह से कर पाए ऐसा मौका उन्हें देते है..?
मेरा भी आपसे ये एक सवाल है यदि आप इस पोस्ट को पढ़ रहे है तो जिस बात पर आपका ध्यान नहीं जाता है तो तीसरी बात यह कि आयुर्वेद (Ayurveda) एक संपूर्ण एप्रोच है, जिसमे आहार, विहार, पथ्य-अपथ्य, योग्य आराम या व्यायाम के बाद शोधन कर्म व उसके बाद औषधीय चिकित्सा आती है-
शोधन कर्म में शरीर के बिगड़े हुए दोष को संतुलित करके संचित विषाक्त द्रव्यों को बाहर निकाला जाता है तभी शरीर पूर्ण रूप से औषधि चिकित्सा योग्य बनता है और औषधियो के गुण लगते है व स्वास्थ्य लाभ होता है किन्तु आजकल आयुर्वेद को भी सिर्फ औषधियों का शास्त्र बनाया जा रहा है-
बहुत से वैध्य भी आजकल औषधीयां बनी बनाई प्रिस्क्राइब (Prescribe) कर रहे है जिससे आयुर्वेद का प्रसार-प्रचार तो होता है किंतु असर कम हो रहा है छोटे मोटे स्वास्थ सम्भन्धित समस्याओं के लिए घरेलू नुस्खे अवश्य कारगर है किंतु बड़ी समस्या, लंबी बीमारियो में योग्य वैद्य की निगरानी में योग्य चिकित्सा ही लेनी चाहिए और धीरज से चिकित्सा करवानी चाहिए-
हर एक औषधि का प्रमाण, अनुपात व अनुपान व्यक्ति की प्रकृति पर निर्भर करता है और तभी वो लाभदायी सिद्ध होता है अन्यथा नही इसलिए इंटरनेट की दवाई से परहेज करें व योग्य चिकित्सा बिना समय गवाए जरूर करे-
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किसी भी लेख को पढ़ने के बाद अपने निकटवर्ती डॉक्टर या वैद्य के परमर्श के अनुसार ही प्रयोग करें- धन्यवाद।
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Upchar Aur Prayog
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