अक्सर लोग कहते है कि चहेरा नही.. इंसान का दिल देखना चाहिए लेकिन अनुभवी वैध्य व्यक्ति का चहेरा देखकर ही उसके दिल की हालत व स्वास्थ्य पता कर लेते है चहेरा सिर्फ व्यक्ति की पहचान ही नही किन्तु व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ का आईना है मुख परीक्षण एक अर्वाचीन व सटीक परीक्षण पद्धति है-
चायनीज पद्धति में भी इसका उल्लेख मिलता है, यही नही भारतीय सामुद्रिकशास्त्र में तो चहेरा देखकर भी ज्ञानी ज्योतिषी व्यक्ति का भूतकाल व भविष्यकाल की सटीक भविष्यवाणी करते है-
आयुर्वेद एक प्राचीन शास्त्र है इसमे व्यक्ति के स्वास्थ की परिभाषा पैथोलोजिकल रिपोर्ट्स पर नही किन्तु हर एक व्यक्ति के शारीरिक लक्षणों तथा जीभ, मुख, नाड़ी तथा उसके शारीरिक गठन पर आधारित है और इसी वजह से यह परीक्षण पद्धति बेहद सटीक तथा सफल है-
अब तो आधुनिक विज्ञान भी यह मानने लगा है कि दिमाग की 70% से ज्यादा नसे हमारे चहेरे से सलंग्न है जिससे हम यह निश्चित कर सकते है कि मनोभाव तथा अंदरूनी शारीरिक बदलाव का प्रभाव व्यक्ति के चहरे पर तत्काल उभर कर आता ही है-
चहेरे पर होने वाली झुर्रियां, दाग, धब्बे, कील मुहाँसे, कालापन, रूखापन जैसी समस्याओं का सीधा संबंध सिर्फ सौंदर्य से ही नही लेकिन शरीर के अंदरूनी अवयवों की स्थिति व स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है हमारे चेहरे के अलग अलग भाग हमारे अंदरूनी अवयवों को प्रतिबिंबित करते है-
उपर चित्र में दिखाए गए अनुसार चहेरे के विशिष्ट भाग विशिष्ट अवयवों को दर्शाते हैं, जब चहेरे पर किन्हीं भागों में आए बदलाव की तरफ गौर किया जाए तो हमे शरीर के आंतरिक बदलाव व अंदरूनी अवयवों की कार्यक्षमता में आए बदलाव साफ साफ समझ में आ सकते है-
चहेरे के विभिन्न भागों पर बदलाव के लक्षण व चिन्ह-
कपाल-माथा-
चहेरे का यह भाग ब्लेडर याने मूत्रपिंड तथा छोटी आंत को प्रतिबिंबित करता है कपाल पर आया हुआ रूखापन मूत्रपिंड की कम कार्यक्षमता अथवा शरीर मे डिहाइड्रेशन याने पानी की कमी को दर्शाता है कपाल पर पड़ी झुर्रियां तथा लकीरें चिंता तथा मानसिक द्वंद को दर्शाता है-
कपाल पर सीधी रेखाएं Vertical Lines या आड़ी Horizontal Lines हो तो व्यक्ति तनाव तथा टेंशन व उच्च-रक्तचाप का शिकार है या हो सकता है यह अनुभवी वैध्य व्यक्ति को देखकर तुरँत अनुमान लगा सकते है-
भौहें-
भौहें सिर्फ चहरे का सौंदर्य व हावभाव की भंगिमा ही नही बढ़ाती किन्तु यह हमें हमारे लिवर व किडनी जैसे शरीर के मुख्य अवयवों की खबर भी देती है भौहों के बाल सर के बाल से थोड़े गहरे रंग के व कड़े होते है कूदरती तौर पर घनी भौहें सुदृढ जीवन शक्ति व दृढ़ आत्मबल का प्रतीक है-
जब भौहों के बाल अचानक से झड़ने लगे अथवा भौहें पतली होने लगे यह संकेत डायबिटीज या थायरॉडय संबन्धित गड़बड़ी तथा शरीर मे होने वाले हार्मोन्स के असंतुलन का सूचक है भौहों के नीचे सूजन श्वास सम्बंधित बीमारी, एलर्जी तथा सायनस की समस्या की और इशारा करता है-
आँखे-
आंखे हमारे मन का आईना होती है आंखों से हम बिना बोले भी हमारे मनोभाव प्रगट कर सकते है आंखों से व्यक्ति के संपूर्ण मनोभाव, स्वभाव तथा मूड की खबर मिलती है-
आंखे लिवर, गॉलब्लेडर, किडनी जैसे अवयवों को प्रतिबिंबित करती है आंखों का पीलापन पीलिया के लक्षणों को दर्शाता है वही आंखों की लाली अनिंद्रा, रुदन या शरीर मे बढ़ी हुई गर्मी दर्शाती है आंखों की पलको के ऊपर होने वाले सफेद धब्बे कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की तथा अपर्याप्त नींद की निशानी है-
आंखों की ऊपरी पलके सुजना, गुहेरी आना पेट की गर्मी, कब्ज, तथा पेट मे इंफेक्शन दर्शाता है आंखों की निचली पलको पर आई सूजन फुंसी या गुहेरी स्प्लीन की कम कार्यक्षमता,तथा पर्याप्त आराम की कमी दर्शाता है-
आंखों की नीचे का कालापन (Dark Circles) हार्मोन्स का असंतुलन, शरीर से विषैले पदार्थो का ठीक से उत्सर्जन ना होना, अप्रसन्नता, कुपोषण तथा प्रयाप्त मानसिक आराम की कमी को उजागर करता है-
गाल-
गाल हमारे फेफड़ो, लिवर, बड़ी आंत, छोटी आंत जैसे वाइटल अवयवों को प्रतिबिंबित करते है उभरे हुए गाल स्वास्थ्य व प्रसन्नता की निशानी है जबकि धंसे हुए गाल अवसाद, ग्लानि तथा कुपोषण की निशानी है-
धंसे हुए गाल बीमारी तथा जीवनसत्व की कमी दर्शाता है जब गालो पर कील मुहाँसे हो तब आंतो व पेट सम्बंधित गर्मी, कब्ज, तथा शरीर मे पानी की कमी की तरफ संकेत मिलते है लाल गाल शरीर मे गर्मी या पित्त की अधिकता बताते है-
गालो पर पड़ने वाले सफेद धब्बे फेफड़ो की कम कार्यक्षमता तथा छोटी आंत की कार्यप्रणाली की गड़बड़ी के चलते शरीर को मिलने वाला अपर्याप्त पोषण की तरफ संकेत करते है-
नाक-
नाक हमारे श्वसन तंत्र का मुख्य अवयव है इसी से हमारा जीवन सुचारू रूप से चलता है इसलिए अक्सर बोलचाल की भाषा मे नाक को व्यक्ति की आन, बान, शान से जोड़ा जाता है नाक ह्र्दय, पेनक्रियाज, पेट व मष्तिष्क को प्रतिबिंबित करती है-
नाक की नोक का सीधा सम्बन्ध दिमाग से है इसलिए भारतीय संस्कृति में तथा अन्य आदिवासी संस्कृतियो में नाक में बाली पहनने का रिवाज है-
होठ-
यह भाग आँते तथा किडनी व प्रजनन सम्बंधित अवयवों को दर्शाता है नर्म मुलायम उभरे होंठ स्वास्थ्य के प्रतीक है जबकि पतले, पिचके व गाढ़ी लकीरे लिए होंठ बीमारी के लक्षण दर्शाते हैं-
काले होंठ, श्वसन सम्भन्धित तथा पेट की गर्मी सम्बंधित लक्षणः है पीले होठ पीलिया की निशानी है सफेद होंठ कृमि तथा कुपोषण, रक्त की कमी की निशानी है भूरे या नीले होंठ शरीर मे उत्सर्जन का कार्य ठीक से ना होना बताते है-
ऊपरी होंठ का फटना, पेट की गर्मी तथा कब्ज दर्शाते हैं जबाकी निचले होठ का फटना या पप्पड़ी जमना बड़ी आंत में पानी की कमी व गर्मी दर्शाते हैं-
ठोड़ी-
ठोड़ी पर होने वाली फोड़े फुंसिया कब्ज की ओर इशारा करती है जबकि ठोड़ी के आसपास का कालापन प्रजनन सम्भन्धित तकलीफे व हार्मोन्स का असंतुलन दर्शाती है-
उपरी अवलोकन-
1- चहेरे का आकार, कद, रंग व आकृति भी हमे जल्दी डायग्नोसिस में मदद करती है-
2- भरा हुआ , चौड़ा गोल चहेरा तैलीय त्वचा कफ प्रकृति दर्शाता है-
3- मध्यम, गौर वर्ण हल्का पीलापन लिए चहेरा पित्त प्रकृति बताता है-
4- पतला, रूखी त्वचा वात प्रकृति दर्शाता है-
5- चहेरे का कालापन किडनी सम्बंधित तकलीफे बताता है वही चहेरे का पीला या लाल होना लिवर सम्बंधित गड़बड़ी दर्शाता है-
6- वही सफेद व पेलनेस लिये हुए चहेरा शरीर मे रक्त व पोषण की कमी बताता है-
7- इस तरह हम अपने व दुसरो के चहेरे को देखकर स्वास्थ्य सम्बंधित गड़बड़ी जान सकते है व उसके अनुरूप उचित उपचार कर सकते है अब आप समझ ही गए होगें कि मुख परीक्षण अर्ली डायग्नोसिस के लिए एक उत्तम व सटीक तरीका है-
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किसी भी लेख को पढ़ने के बाद अपने निकटवर्ती डॉक्टर या वैद्य के परमर्श के अनुसार ही प्रयोग करें- धन्यवाद।
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