हिंदी में आयुर्वेद उपचार-Ayurveda treatment in Hindi
ऐसा कहा जाता हें की राख या भस्म सृष्टि के पञ्च तत्वों का सार हें और इसीलिए भगवान् शिव ने इसे अपने अंगो पर धारण किया है राख, विभूति या उदी कही जाने वाली भस्म को बहुत ही धार्मिक व औषधीय महत्व प्राप्त है जिस भी पदार्थ की जब भस्म बनाई जाती है तब सारा भाग जल कर जो अवशेष शेष बचते हें उसे ही भस्म कहा जाता हें जो मुख्य स्वरूप में पदार्थ के होने की तुलना में ज्यादा गुणकारी बन जाती है इसीलिए औषधि या जडी-बूटी से बेहद कम मात्रा में उपयोग करने पर भी भस्म उत्तम लाभ देती है-
आयुर्वेद में भस्मो से उपचार की विधि प्राचीन और शाश्त्रोक्त है भस्मे तुरंत असर करने वाली औषधि है लेकिन उचित मात्रा एवं शास्त्रोक्त उपयोग करने पर आयुर्वेदिक भस्मो का उत्तम लाभ प्राप्त होता है आयुर्वेद में धातु, खनिज, जड़ी-बूटियों और रत्नों से भस्म बनाई जाती है जो कई रोगों में चमत्कारिक लाभ करती हें लेकिन आज ह्म आपको हर्बल चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाले भस्मो के कुछ अनुभूत नुस्खे बताएँगे जो आप घर पर आसानी से कर सकते है व स्वास्थ लाभ पा सकते हैं-
आयुर्वेद में भस्मो से उपचार की विधि प्राचीन और शाश्त्रोक्त है भस्मे तुरंत असर करने वाली औषधि है लेकिन उचित मात्रा एवं शास्त्रोक्त उपयोग करने पर आयुर्वेदिक भस्मो का उत्तम लाभ प्राप्त होता है आयुर्वेद में धातु, खनिज, जड़ी-बूटियों और रत्नों से भस्म बनाई जाती है जो कई रोगों में चमत्कारिक लाभ करती हें लेकिन आज ह्म आपको हर्बल चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाले भस्मो के कुछ अनुभूत नुस्खे बताएँगे जो आप घर पर आसानी से कर सकते है व स्वास्थ लाभ पा सकते हैं-
कैसे बनाई जाए भस्म-
जिस भी पदार्थ या औषधीय जड़ी बूटी की भस्म बनानी है उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें या कूट ले अब लोहे की कढ़ाई में धीमी आंच पर इसे भून ले भूनकर यह औषधि पहले गुलाबी फिर लाल और फिर काली पड़ने लगे तब तक इसे भूनते रहना है जब औषधि काली पड़ जाए तथा चूर्ण बनने लगे तब इसे किसी पात्र में निकाल लेना है ठंडा होने पर इसे खरल करके अच्छे से चूर्ण बना लेना है तथा सूती कपड़े से छानकर किसी साफ बर्तन में या शीशी में इसे भर लेना है-
विविध भस्मों के अनुभव घरेलू प्रयोग-
1- बरगद के कोमल पत्तों को की भस्म को तिल के तेल में मिलाकर खाज खुजली तथा एक्जिमा पर लगाने से त्वचा रोगों में आराम मिलता है-
2- नारियल की छाल या जटा लेकर उसे धूप में 1 दिन सुखा लें फिर इसे मिट्टी के बर्तन में भूनकर इसकी भस्म बना ले इस भस्म को 3 ग्राम की मात्रा में गाय के मीठे दही के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से बवासीर के मस्सों में राहत मिलती है, मस्सों का आकार कम हो जाता है तथा खूनी बवासीर में लाभ मिलता है यह प्रयोग रक्तप्रदर में भी उत्तम लाभ है-
3- आंवले की गुठली या बीज को अच्छे से धो कर सुखा कर उसकी भस्म बनाकर यह भस्म नारियल तेल में खूब खरल करके मरहम जैसा बना ले यह मरहम एक्जिमा दाद खाज खुजली पर लगाने से खाज खुजली की समस्या दूर होती है-
4- मयूर पंख की भस्म को शहद के साथ चाटने से (हीक्का रोग) यानी हिचकी आना बंद होता है एक रत्ती मयूरपंख की भस्म को तीन रत्ती सहद के साथ लेने से श्वास दमा में राहत मिलती है किसी भी ऑपरेशन के बाद होने वाली उल्टी तथा हिचकियों में मयूर पंख की बस उत्तम औषधि है-
5- बरगद के पत्ते साफ करके धुप में अच्छे से सुखा लें उन पत्तों पर अलसी का तेल लगाकर उसे जला कर राख बना ले इस राख को 4 गुना अलसी के तेल में मिलाकर रात को सर में जहां बाल उड़ गए हो या बाल कम हो गए हो वहां लगाकर मालिश करने से झड़े हुए बाल वापस आते हैं तथा बाल झड़ना भी कम हो जाता है-
6- केले के पत्तों को जलाकर भस्म बनाकर यह भस्म 5-5 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार शहद के साथ चाटने से कुकुर खांसी में राहत मिलती है-
7- बादाम के छिलकों को जलाकर उसकी भस्म बनाकर उस भस्म से दांत मांजने से दांतों की जड़ें मजबूत होती है अगर उसमें हल्दी व सेंधा नमक मिलाया जाए तो पायरीया जैसी समस्याओं में भी लाभ मिलता है-
8- खारीक या खजूर की गुठली को जलाकर उसकी भस्म में कपूर तथा हींग मिलाकर पानी से लेप बना ले यह लेप दाद खाज खुजली पर लगाने से लाभ होता है-
9- आवला को जलाकर उसकी भस्म तिल के तेल में मिलाकर पूरे शरीर की मालिश करने से तथा धूप स्नान करके उसके बाद स्नान करने से शरीर की खुजली तथा त्वचा रोग मिटते हैं-
10- तूअर के पत्ते या फली को जलाकर भस्म बनाकर दही में मिलाकर लगाने से खरुज तथा दद्रु रोग मिटता है-
11- हल्दी को जलाकर उसकी राख तथा चूने को मिलाकर फोड़े पर लेप करने से फ़ोड़ा फुटकर मवाद जल्दी बाहर निकल जाता है तथा त्वचा पर इसके निशान भी नहीं रहते हैं-
12- चक्रमर्द के बीज को भूनकर उसकी भस्म बनाकर उससे चाय बनाकर पीने से रक्तविकार दूर होते हैं फ़ोड़े, खाज खुजली, कील मुहांसे जैसी समस्या मिटती है-
13- आम के पत्तों की भस्म बनाकर उसे घी के साथ खरल करके मुलायम मलहम जैसा बना लें इसे जले हुए स्थान पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है वह जले के निशान भी त्वचा पर नहीं रहते-
14- भुट्टे में से मकई के दाने निकाल कर खाली भुट्टो को जलाकर उसकी भस्म बना लें तथा कपड़छन करके यह भस्म एक-एक ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी से लेने दे पथरी का दर्द तथा कष्ट मूत्र जैसी समस्याएं दूर होती है-
15- कुलथी को भूनकर उसकी भस्म बनाकर उस में गुड़ डालकर पीने से पित्त प्रकोप से हुई त्वचा संबंधी तकलीफें दूर होती है-
17- एक रोटी जलाकर राख कर लें फिर आधे गिलास पानी में डाल दें रोटी घुल जायेगी तब उसका ऊपर ऊपर का पानी पिला दें यह उलटी की रामबाण दवा है-
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अदभुत
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