आज कल बाजार में पारद शिवलिंग (MercuryShivling) बने बनाए मिलते है ये सर्वथा अशुद्ध एवं किन्ही विशेष परिस्थितियों में हानि कारक भी होते है पारद शिवलिंग पारा अर्थात मरकरी (Mercury) का बना होता है वैसे तो देखने में सुहागा एवं ज़स्ता के संयोग से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता है इसी प्रकार एल्युमिनियम से बना शिवलिंग भी पारद शिवलिंग जैसा ही लगता है-
लेकिन उपरोक्त दोनों ही पारद शिवलिंग घर में या पूजा के लिए नहीं रखने चाहिए क्युकि इससे रक्त रोग, श्वास रोग एवं मानसिक विकृति उत्पन्न होती है अतः ऐसे शिवलिंग या इन धातुओ से बने कोई भी देव प्रतिमा घर या पूजा के स्थान में नहीं रखने चाहिए-
पारद शिवलिंग (MercuryShivling) का निर्माण क्रमशः तीन मुख्य धातुओ के रासायनिक संयोग से होता है अथर्वन महाभाष्य में लिखा है क़ि-
"द्रत्यान्शु परिपाकेनलाब्धो यत त्रीतियाँशतः. पारदम तत्द्वाविन्शत कज्जलमभिमज्जयेत. उत्प्लावितम जरायोगम क्वाथाना दृष्टोचक्षुषः तदेव पारदम शिवलिंगम पूजार्थं प्रति गृह्यताम."
अर्थात अपनी सामर्थ्य के अनुसार कम से कम कज्जल का बीस गुना पारद एवं मनिफेन (Magnesium) के चालीस गुना पारद लिंग निर्माण के लिए परम आवश्यक है अर्थात कम से कम 70% पारा (Mercury), 15% मणिफेन या मेगनीसियम (Magnesium) तथा 10% कज्जल या कार्बन तथा 5 % अंगमेवा या पोटैसियम कार्बोनेट (Potassium carbonate) होना चाहिए-
पारद शिवलिंग को आप केवल बिना पूजा के अपने घर में रख सकते है यदि आप चाहें तो इसकी पूजा कर सकते है-किन्तु यदि आपको अभिषेक करना हो तो उसके बाद इस शिवलिंग को पूजा के बाद घर से बाहर कम से कम चालीस हाथ की दूरी पर होना चाहिए अन्यथा इसके विकिरण का दुष्प्रभाव समूचे घर परिवार को प्रभावित करेगा-
किन्तु यदि रोज ही नियमित रूप से अभिषेक करना हो तो इसे घर में स्थायी रूप से रखा जा सकता है ऐसे व्यक्ति बहुत बड़े तपोनिष्ठ महा-विद्वान होते है यह साधारण जन के लिए संभव नहीं है अतः यदि घर में रखना हो तो उसका अभिषेक न करे-
किन्तु यदि रोज ही नियमित रूप से अभिषेक करना हो तो इसे घर में स्थायी रूप से रखा जा सकता है ऐसे व्यक्ति बहुत बड़े तपोनिष्ठ महा-विद्वान होते है यह साधारण जन के लिए संभव नहीं है अतः यदि घर में रखना हो तो उसका अभिषेक न करे-
पारद शिवलिंग (Parad Shivalingm) की पहचान-
1- पारद शिवलिंग यदि कोई अति विश्वसनीय व्यक्ति बनाने वाला हो तो उससे आदेश या विनय करके बनवाया जा सकता है वैसे भी इसका परीक्षण किया जा सकता है-
2- यदि इस शिवलिंग को अमोनियम हाईड्राक्साइड (Ammonium hydroxide) से स्पर्श कराया जाय तो कोई दुर्गन्ध नहीं निकलेगा लेकिन यदि पोटैसियम क्लोरेट (Potassium Chlorate) से स्पर्श कराया जाय तो बदबू निकलने लगेगी-
3- यही नहीं पारद शिव लिंग को कभी भी सोने (Gold) से स्पर्श न करायें नहीं तो यह सोने को खा जाता है-पहचान करने की सबसे अच्छी विधि है कि यदि आप पारद शिवलिंग का सम्पर्क सोने से करवाए और सोने की मात्रा कम होने लगे तो शिवलिंग शुद्ध पारद है लेकिन सोना तो कम हो जाता है पर पारद शिवलिंग के वजन भी तनिक भी बढ़ोतरी नही होती है-
4- पारद शिवलिंग को हथेली पे घिसा जाये तो काली लकीर नहीं पड़नी चाहिए तथा हथेली पे कालिख भी नहीं आनी चाहिए-जब पारद शिवलिंग को जल में रख कर धुप में रखा जाता है तो कुछ समय बाद पारद शिवलिंग पर शुद्ध स्वर्ण जैसी आभा आ जाती है-
5- लैब में टेस्ट करवाने पर टेस्ट रिपोर्ट में जस्ता (Zinc) , सिक्का (Lead) और कलई (Tin) ये धातुएं आ जाएं तो पारद शिवलिंग नकली और दोषयुक्त होता है क्योंके रसशास्त्र में इन धातुओं को पारद के दोष कहा गया है-
4- पारद शिवलिंग को हथेली पे घिसा जाये तो काली लकीर नहीं पड़नी चाहिए तथा हथेली पे कालिख भी नहीं आनी चाहिए-जब पारद शिवलिंग को जल में रख कर धुप में रखा जाता है तो कुछ समय बाद पारद शिवलिंग पर शुद्ध स्वर्ण जैसी आभा आ जाती है-
5- लैब में टेस्ट करवाने पर टेस्ट रिपोर्ट में जस्ता (Zinc) , सिक्का (Lead) और कलई (Tin) ये धातुएं आ जाएं तो पारद शिवलिंग नकली और दोषयुक्त होता है क्योंके रसशास्त्र में इन धातुओं को पारद के दोष कहा गया है-
6- पारद शिवलिंग के निर्माण की विश्वसनीयता पर आपको तनिक भी संदेह हो तो इसका परित्याग ही सर्वथा अच्छा है-अतः सामान्य रूप से बाज़ार में मिलाने वाले पारद शिवलिंग के नाम पर कोई शिवलिंग तब तक न खरीदें जब तक आप उसकी शुद्धता पर आश्वस्त न हो जाएँ वर्ना लाभ की जगह हानि की संभावना अधिक होती है-
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