संवा चावल (Sama Rice) जिसे हम व्रत में खीर या भात बनाकर खाते हैं जिसे रूषी अन्न भी कहा जाता हैं संवा चावल व्रत या उपवास में खाया जाने वाला प्रसिद्ध अन्न पदार्थ है जिसे अलग-अलग भाषाओं में श्यामा, भगर, वराई, वरी, श्यामला, मोरियो, सामा,समा, मोरधन भी कहा जाता है-
अति प्राचीन साहित्य तथा आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है वाग्भट जी इसके बारे में लिखते हैं कि-
कंगू कोद्रवनीवार-श्यामाकादी हिमं लधु |
तृण धान्य पवन कुल्लेख्न कफपित्तहत ||१०|| -अष्टांगह्रदय
अर्थात्-
कंडू, कंगनी, केद्र्व जंगली कोदो, निवार, तीनी तथा श्यामाक (संवा चावल) आदि तृणधान्य है वे सब शीत, लघु, वातकारक, लेखन तथा कफ व पित्त नाशक है-
इसी तरह भावप्रकाश में कहा गया है कि-
श्यामाक शोषणों रूक्षोवातल:कफपित्तहत ||७१||
अर्थात-
श्यामाक शोषण करने वाला, रूक्ष, वायु करने वाला, तथा कफ पित्त को हरने वाला है-
आसान शब्दों में कहां जाए तो संवा चावल (Sama Rice) मधुर, ग्राही, कड़वा, रूक्ष, वायु करने वाला, मल को रोकने वाला, शीतल, पित्त तथा कफ को नाश करने वाला, व्रण व जख्मों के लिए हितकारी, विष तथा मूत्र कृच्छ्र का नाश करने वाला पौष्टिक अन्न औषधि है-
आसान शब्दों में कहां जाए तो संवा चावल (Sama Rice) मधुर, ग्राही, कड़वा, रूक्ष, वायु करने वाला, मल को रोकने वाला, शीतल, पित्त तथा कफ को नाश करने वाला, व्रण व जख्मों के लिए हितकारी, विष तथा मूत्र कृच्छ्र का नाश करने वाला पौष्टिक अन्न औषधि है-
इस प्रकार संवा चावल (Sama Rice) एक ऐसा अन्नद्रव्य है जो बेहद स्वास्थ्य कर होते हुए भी उपेक्षित तथा सिर्फ व्रत के भोजन तक ही सीमित रह गया है-हमारा उद्देश्य आपको इसके गुणों से परिचित कराना है-
संवा चावल (Sama Rice) का महत्व-
1-आजकल विदेशी फैशन या जीवनशैली के चलते भारतीयों ने अपनी जीवनशैली तथा भोजन शैली संपूर्णत बदल दी है जिससे गरीब लोग तो अभाव के चलते कुपोषण के शिकार है ही लेकिन धनवान लोग भी जंक फूड खाने की वजह से पोषण की कमी, विटामिन की कमी, कैल्शियम की कमी, तथा अन्य कई रोगों के शिकार देखने को मिलते हैं ऐसी समस्याओं में संवा चावल (Sama Rice) का सेवन एक उत्तम पौष्टिक अन्न औषधि का काम करता है यह शरीर को पोषण देते हुए कई समस्याओं को दूर भी करता है-
2- शास्त्रों में तथा पुरातन ग्रंथों में मिले हुए वर्णन से पता चलता है कि पुरातन काल में संवा चावल (Sama Rice) युद्ध या अकाल जैसी विपरीत परिस्थिति के लिए खाने के कोठारों में भरकर संग्रहित रखा जाता था जिससे अकाल के समय पर खाने से शक्ति व पोषण दोनों मिलता रहता था-
3- संवा चावल (Sama Rice) प्रमुख्य रूप से आदिवासियों का भी प्रमुख अन्न रहा है कई बीमारियों में तथा कायाकल्प करने में आदिवासी लोग संवा चावल, पुनर्नवा, घी, तथा छाछ जैसे पदार्थ से संवा चावल की मांड बनाकर या सुप का प्रयोग करके बीमारी के बाद आई कमजोरी व पोषण की कमी को ठीक करते थे-
4- हमारे ऋषिमुनि तथा सन्यासी भी गिरी कंदराओं में रहते हुए संवा चावल (Sama Rice) का सेवन कर के ही अपने शरीर को स्वस्थ व पोषित रखते थे-
5- इस तरह संवा चावल (Sama Rice) एक पौष्टिक अन्न औषधि है यह आधुनिक जीवन शैली के परिणाम स्वरुप होने वाले रोग जैसे कि ब्लड प्रेशर, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol), ह्रदयरोग (Heart disease) तथा डायबिटीज तथा मोटापा (Obesity) जैसे रोगों में समा चावल बेहद उपयोगी इसके साथ-साथ कैल्शियम की कमी (Calcium Deficiency), जोड़ों का दर्द, पाचन संबंधित रोग, त्वचा रोग (Skin Disease), सूजन, जलन, छाले, घाव तथा कब्ज (Constipation) जैसी समस्याओं में भी समा चावल बेहद लाभदायक है-
हम आपको इस लेखन माला में ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, ह्रदय रोग, डायबिटीज (Diabetes) तथा मोटापा (Obesity) जैसी इन समस्याओ में संवा चावल को केसे व क्यों उपयोग करे-इन व्याधिओ में संवा चावल के लाभ के बारे में विस्तार से बताएंगे जिससे बिना भूखे रहे आप उत्तम पौष्टिक (Wholesome) तथा स्वादिष्ट भोजन खाते हुए अपने आप को स्वस्थ रख सकेंगे तथा इन रोगों की रोकथाम व उपचार भी कर सकेंगे-
अगली पोस्ट- डायबिटीज तथा मोटापा के लिए संवा चावल का सेवन क्यों व कैसे करें
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