पिछले लेख में हमने आम्रपाक के गुण लाभ तथा प्रयोग व दूसरे लेख में हमने आम्रपाक बनाने की विधि व उसके लाभ के बारे में विस्तार से जाना इस तीसरी कड़ी में हम आपको ग्रंथों में बताए हुए तीन प्रकार के आम्रपाको में से दूसरे प्रकार का आम्रपाक जिसे खंडाम्रपाक भी कहा जाता है उसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे-
जिस तरह से आयुर्वेद में आंवला के फल को एक विशिष्ट स्थान है वैसे ही आयुर्वेद तथा हमारी जीवन शैली तथा लोक साहित्य में भी आम (Mango) का विशिष्ट स्थान है धार्मिक दृष्टि से भी आम के पत्तों को पवित्र तथा आम्रफल को पुण्यदाई माना गया है-
आम के गुणगान में चरक लिखते हैं कि-
मधुरं बृहण ब्लयमाम्रा तंतर्पणं गुरु |
सस्नेहमं श्लेष्मलं शीतंवृष्यं विष्टभ्य जिय्यर्ती|| १२३||
अर्थात-
पके हुए आम (Mango) पुष्टिकारक, बलवर्धक, ठंडक व प्रसन्नता देने वाले, मधुर, कफकारक, शीतल, वृष्यं तथा अतिसार को रोकने वाले उत्तम पाचक है-
इसलिए हमेशा बढ़े बूढ़े कहते थे कि कर्ज लेकर भी आम की ऋतू में आम का सेवन करना आवश्यक है क्योंकि आम की ऋतू में खाए हुए आम पूरे वर्ष भर शरीर को बलशाली तथा निरोगी रखते हैं-
यह खंडाम्रपाक (Khandaamrapak) आम के तीनों पाको में उत्तम माना गया है तथा आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में व भारत के पुरातन राजवैद्यो ने इसे चवनप्राश की तरह ही सराहा है-
खंडाम्रपाक बनाने की विधी-
सामग्री-
पके हुए देसी आम का रस- 2048 ग्राम
शक्कर- 512 ग्राम
घी- 256 ग्राम
सोठ- 128 ग्राम
काली मिर्च- 64 ग्राम
पीपर- 32 ग्राम
पानी- 512 ग्राम
बनाने की विधी-
सब को मिलाकर मिट्टी के बर्तन में डाल के मंद आंच पर पकाने रख दे बीच-बीच में लकड़ी के चम्मच से हिलाते रहे जब मिश्रण गाढा होने लगे तब उसमें पिपरी मूल, नागर मोथा, चवक, धनिया, जीरा, शाहजीरा, इलायची दाना, नागकेसर, दालचीनी, तालीसपत्र इन सब का 16-16 ग्राम बारीक चूर्ण करके डालें और अच्छे से घोट ले खण्डाम्रपाक (Khandaamrapak) सिद्ध हो जाए तब इसे नीचे उतार कर ठंडा करें तथा इसमें शहद 128 ग्राम डालकर अच्छे से मिलाकर साफ कांच की शीशीओ में भर लें-
सेवन विधि-
खंडाम्रपाक (Khandaamrapak) 10 से 40 ग्राम तक की मात्रा में (व्यक्ति की उम्र तथा समस्या के हिसाब से मात्रा निर्धारण करें) भोजन से आधे घंटे पहले लेना चाहिए-
खण्डाम्रपाक सेवन से लाभ-
शास्त्रों में इस खंडाम्रपाक (Khandaamrapak) की प्रशंसा करते हुए आयुर्वेद मार्तंड शास्त्री पदे जी लिखते हैं कि यह पाक वीर्यवर्धक, बुद्धिवर्धक, आयुष्य वर्धक, शरीर की जीर्णावस्था को दूर करने वाला तथा ग्रहों, यक्ष, पिशाच पीड़ा तथा पागलपन के दौरे को दूर करने वाला उत्तम पाक है अर्थात यह पाक शारीरिक तथा मानसिक रोगों में बेहद लाभदायक है-
इसके सेवन से अरुचि, उग्र-श्वास, खासी, क्षयरोग (Tuberculosis), पीनस (Ozaena), कमजोर लीवर, मुखरोग, अम्ल पित्त, रक्तपित्त, स्वरभंग, सर्व प्रकार के गुदा द्वार की व्याधि, पांडु रोग (Anaemia), पीलिया (Jaundice), ह्रदय रोग (Heart Disease), दाद, खाज, खुजली (Scabies), शीतपित्त, आनाह याने मल बद्धता (Constipation) तथा मूत्र बद्धता, कमजोरी तथा बढती उम्र के साथ होने वाले शरीर-क्षय (Degeneration) जैसी तकलीफों से मुक्ति मिलती हैं-
मन प्रसन्न तथा तन निरोगी रहता हैं जीवनी शक्ति (Vitality) में बढौतरी होती हैं तथा त्वचा तथा केशो की मुलायमता बढती हैं-
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किसी भी लेख को पढ़ने के बाद अपने निकटवर्ती डॉक्टर या वैद्य के परमर्श के अनुसार ही प्रयोग करें- धन्यवाद।
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