हाथ कंधे तथा पीठ के स्नायुओ में किन्ही कारणों से सूजन, जकड़न व दर्द होने लगता है इस समस्या को फ्रोजन शोल्डर (Frozen Shoulder) नाम से जाना जाता है कंधे के जॉइंट्स या अस्थि संधि (Bone joint) में जकड़न आने से हाथ हिलाने में तथा हाथ से रोजमर्रा के काम करने में बहुत ही असुविधा, दर्द तथा मुश्किलें पैदा होती है यह समस्या 40 से 60 वर्ष की उम्र के व्यक्तियों में ज्यादा देखने को मिलती है इसके प्राथमिक लक्षणों में कंधे तथा गर्दन के पीछे की तरफ अत्यंत दर्द होता है जो रात्रि के समय बढ़ जाता है यह दर्द इतना असहय होता है कि दाएं या बाएं जिस तरफ भी यह समस्या होती है उस करवट रोगी सो भी नहीं सकता है-
विडंबना यह है कि जब यह समस्या होती है तब ज्यादातर लोग इसे अनदेखा कर देते हैं और इसी लापरवाही से यह समस्या दिन-ब-दिन तीव्र होती जाती है और ज्यादा पुराना होते ही कंधे तथा गर्दन के स्नायु (Neck muscles) जकड़ जाते हैं यह जकड़न इतनी तेज होती है कि हाथ मोड भी नहीं सकते हैं और अगर जबरदस्ती हाथ को मोड़ कर गर्दन की तरफ आगे पीछे लिया जाए तो असहय वेदना होती है-
विडंबना यह है कि जब यह समस्या होती है तब ज्यादातर लोग इसे अनदेखा कर देते हैं और इसी लापरवाही से यह समस्या दिन-ब-दिन तीव्र होती जाती है और ज्यादा पुराना होते ही कंधे तथा गर्दन के स्नायु (Neck muscles) जकड़ जाते हैं यह जकड़न इतनी तेज होती है कि हाथ मोड भी नहीं सकते हैं और अगर जबरदस्ती हाथ को मोड़ कर गर्दन की तरफ आगे पीछे लिया जाए तो असहय वेदना होती है-
इस लेख में निसर्गोपचार या नेचुरोपैथी से फ्रोजन शोल्डर (Frozen Shoulder) की चिकित्सा कैसे की जाए इसकी चर्चा करेंगे जैसा कि हम सब जानते हैं निसर्गोपचार (Naturopathy) में नैसर्गिक रूप से शरीर में आई खराबी को ठीक या रिपेयर किया जाता है यह चिकित्सा अगर धैर्य रख कर की जाए तो उत्तम व स्थाई लाभ मिल सकते हैं-
ठंडा व गरम (Cold and Hot) सेक-
फ्रोजन शोल्डर (Frozen Shoulder) की तकलीफ में जब भी गरम सेंक किया जाता है तब रक्त वाहिनियां एक्सपेंड होती है जिससे रक्त प्रवाह तथा रक्त संचार बढ़ता है परिणाम स्वरुप चोट या हानि ग्रस्त नसों पर रक्त संचार सुचारू होता है जिससे कंधे की मांसपेशियों रिलेक्स होती है रक्त संचार सुचारू रूप से होने से जकड़े हुए स्नायु ढीले पड़ते हैं तथा उनकी इलेक्ट्रिसिटी बढ़ती है यह उपचार लंबे समय से जकड़े हुए कंधे तथा फ्रोजन शोल्डर में बहुत कारगर है मेडिकल भाषा में इसे विझो डायलेशन (Vasodilation) कहते हैं-
फ्रोजन शोल्डर (Frozen Shoulder) जब बर्फ की सिकाई या ठंडा सेंक किया जाता है तब बर्फ कंधे के आसपास की रक्त की नसों में रक्त संचार कम कर देता है जिससे मांसपेशियों से निकलने वाला प्रवाही रुक जाता है और सूजन कम होती हैं जिससे हाथ को हिलाने में होती हुई परेशानी कम होती हैं ठंडे सेंक से सूजन ही नहीं दर्द भी कम होता है बर्फ का सेंक कुछ समय के लिए नसों को सुन्न (Numb) बधिर कर देता है जिससे दर्द में तुरंत राहत मिलता है इसे मेडिकल भाषा में वेझो कंस्ट्रिकशन (Vasoconstriction) कहते हैं-
मिट्टी का लेप (Mud Pack)-
मिट्टी पांच तत्व पानी, हवा, आकाश, अग्नि व भूमि का सार है हमारे पूर्वजों ने मिट्टी को ही मां कहा है जिस तरह से मां बच्चे के सर्व दुःख हर लेती है उसी प्रकार मिट्टी भी मनुष्य के सारे दर्द दूर करने की क्षमता रखती हैं आदिकाल से मिट्टी परम औषधि मानी जाती है तथा विभिन्न तरीके से सूजन दर्द तथा अन्य तकलीफ़ो के उपचार में मिट्टी का विभिन्न तरीके से प्रयोग किया जाता है मिट्टी को अच्छे से साफ करके गर्म पानी में उबालकर गाढ़ा लेप तैयार किया जाता है उस लेप को दर्द वाले स्थान पर एक मोटी परत के रूप में लगा दिया जाता है तथा उसको सूखने तक यानी आधे घंटे से 40 मिनट तक दर्द वाले स्थान पर रखा जाता है सूखने के बाद जब मिट्टी कड़ी हो जाए तब उसे निकाल लिया जाता है मिट्टी का लेप सूजन व दर्द कम करता है तथा अंगों में आई जकड़न को नैसर्गिक रूप से ठीक करता है-
इसी तरह रेती की पोटली बनाकर उसे तवे पर गर्म करके उसकी गर्माहट से कंधे गर्दन तथा पीठ की सिकाई की जाती है व रोगी की शारीरिक अवस्था के अनुसार एक से लेकर 2 किलो तक की विभिन्न आकार की रेती की थैलियां या सैंड बेग्स को गर्म करके दर्द वाले अंगों पर रखी जाती है जिससे गर्माहट व दबाव पड़ने से जकड़े हुए स्नायु ढीले होते हैं रक्त परिभ्रमण बढ़ने से दर्द व सूजन कम होता है तथा रोगी को त्वरित आराम मिलता है-
कपिंग थेरेपी (Cupping therapy)-
कपिंग थेरेपी एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है भारत के साथ-साथ चीन, मिस्र तथा अफ्रीका की प्राचीन सभ्यताओं में भी इस चिकित्सा प्रणाली का उल्लेख मिलता है आज के आधुनिक युग में भी कपिंग थेरेपी बहुत ही कारगर तथा लोकप्रिय मानी जाती है कपिंग थेरेपी में रोगी के दर्द के हिसाब से विभिन्न बिंदुओं पर या स्थानों पर प्लास्टिक, लकड़ी, कांच या रबर के कप या कटोरे लगाए जाते हैं जिससे वह बिंदु पर सक्शन इफ़ेक्ट होता है सक्शन से मसल्स पुल होते हैं जिस से रक्त संचार बढ़ता है व रुकी हुई एनर्जी सुचारू होती है दर्द, जकड़न, सूजन कम होती है तथा शरीर की कमजोरी व थकान दूर हो कर आराम मिलता है सतत मांसपेशियों की जकड़न से या जकड़े रहने से उस स्थान पर नालों में थकावट आ जाती है इसीलिए कभी-कभी ऐसे स्थानों पर मसाज करने से दर्द बढ़ा हुआ मालूम होता है लेकिन अगर ऐसे स्थानों पर कपिंग से मसाज की जाए तो मांसपेशियां ज्यादा रिलेक्स होती है जकड़न की वजह से आया कड़ापन दूर होता है तथा मांसपेशियों की थकावट दूर होती है और को तरोताजा महसूस होता है-
स्पाइन बाथ (Spine Bath)-
यह चिकित्सा मुख्यतः लेप के बाद या मसाज (Massage) के बाद दी जाती है कभी-कभी स्पाइन बाथ (Spine Bath) के बाद भी मजाज की जाती है इस चिकित्सा में रोगी को लेटा कर या खड़ा कर दर्द वाली जगह पर याने पीठ कंधे तथा बाहों पर ठंडे व गर्म पानी को सावर की मदद से छिड़काव किया जाता है निरंतर शरीर पर पड़ने वाली पानी की धारा उसे रक्त संचार बढ़ जाता है साथ-साथ ठंडे व गर्म पानी का प्रभाव शरीर पर पडकर मसल्स को रिलेक्स करता है परिभ्रमण की क्रिया बढ़ने व कम होने व वापस बढ़ने की वजह से रक्त संचार नसों को आराम मिलता है जकड़न कम होती है-
यह चिकित्सा आप घर में नहाते वक्त भी कर सकते हैं पहले थोड़ा नमक मिलाया हुआ गर्म पानी कंधों पर या पीठ पर डाले ऐसा 3 से 5 मिनट करें जब वह स्थान गर्म हो जाए तब बर्फ मिला हुआ ठंडा पानी डालें यह भी तीन से पांच मिनट तक डालना है जब वह स्थान पूर्ण ठंडा हो जाए या नम पडने लगे तब वापस गरम पानी डालना है इस क्रिया को तीन चार बार दोहराना है जिससे इसका लाभ मिल सके-
बैच फ्लावर चिकित्सा (Batch Flower Medicine)-
रोगी के शारीरिक व मानसिक लक्षण अच्छे से देख कर उनको बैच फ्लावर चिकित्सा (Batch Flower Medicine) भी दी जाती है जब अक्सर यह देखा गया है कि यह बीमारी लंबे समय तक जाने का नाम ही नहीं लेती तथा रोगी चिकित्सा करके परेशान होता है और थक-हारकर इस समस्याओं के साथ ही जीने लगता है तब फ्लावर चिकित्सा राहत देती है बेच फ्लावर चिकित्सा से इस दर्द की वजह से रोगी में आई चिड़चिड़ाहट, उदासीनता, अनिद्रा, बेचैनी जैसी तकलीफ दूर होती है-
होम्योपैथी चिकित्सा (HomeopathyTreatment)-
होम्योपैथी में फ्रोजन शोल्डर (Frozen Shoulder) की तकलीफ तकलीफ में लाभ देने वाली बहुत सी दवाइयां है जिसमें रोगी के लक्षण व रूचि के अनुसार दवाई दी जाती है जिनमें कोस्टिकम, ब्रायोनिया, सिमिसीफ्युगा व कैलकेरिया प्रमुख है-
होम्योपैथी में कभी-कभी दवाइयों अग्रेवेशन होता है इसीलिए इसे पढ़कर या सुनकर बिना चिकित्सक की सलाह के दवाई लेना कभी भी हितकर नही है-
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फ्रोजन शोल्डर की समस्या पर योगासन तथा व्यायाम
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किसी भी लेख को पढ़ने के बाद अपने निकटवर्ती डॉक्टर या वैद्य के परमर्श के अनुसार ही प्रयोग करें- धन्यवाद।
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