जामुन का परिचय (Introduction of Jamun)-
प्रकृति ने मनुष्य के लिए हर मौसम के सब्जी और फल बनायें हैं बरसात में ही जामुन (Jamun) होता है और हमें इसकी जरूरत भी तभी होती है। प्राचीन भारतीय उप महाद्वीप को पहले जम्बू -द्वीप कहा जाता था। क्योंकि यहां जामुन के पेड़ अधिक पाए जाते थे। जामुन का पेड़ पहले हर भारतीय के घर-आंगन में होता था। अब आंगन तो नहीं रहे है आजकल जामुन और बेर के पेड़ को देखना दुर्लभ होता जा है।
जामुन (Jamun) सामान्यतया अप्रैल से जुलाई माह तक सर्वत्र उपलब्ध रहते हैं। इसका फल, वृक्ष की छाल, पत्ते और जामुन की गुठली अपने औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व रखते हैं। यह शीतल, एंटीबायोटिक, रुचिकर, पाचक, पित्त-कफ तथा रक्त विकारनाशक भी है।
इसमें आयरन (लौह तत्व), विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में होने से यह हृदय रोग, लीवर, अल्सर, मधुमेह, वीर्य दोष, खाँसी, कफ (दमा), रक्त विकार, वमन, पीलिया, कब्ज, उदररोग, पित्त, वायु विकार, अतिसार, दाँत और मसूढ़ों के रोगों में विशेष लाभकारी है।
बी समूह के विटामिंस नर्वस सिस्टम (Nervous System) के लिए जामुन फायदेमंद माने जाते है। वहीं विटामिन C शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है जो हमें जामुन (Jamun) से प्राप्त हो जाता है। बहुत कम लोगों को यह मालूम होगा कि जामुन में विटामिन C प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ग्लूकोज और फ्रक्टोज के रूप में मिलने वाली शुगर शरीर को हाईड्रेट करने के साथ ही कूल और रिफ्रेश करती है।
जामुन (Jamun) का फल पेट के रोगों के लिए लाभप्रद माना गया है। सेंधा नमक के साथ इसका सेवन भूख बढ़ाता है और पाचन क्रिया (Digestibility)को तेज करता है। बरसात के दिनों में हमारी पाचन संस्थान (Digestive System) कमजोर पड़ जाती है कारण हमारा मानना है कि बरसात यानि बस तली चीजें खाना कचौडी, पकोडे, समोसे इत्यादि है जिसके कारण शुगर (Diabetes) वालों का शूगर और बढ़ जाता है तथा पाचन क्रिया सुस्त हो जाती है।
मधुमेह के रोगियों के लिए भी जामुन अत्यधिक गुणकारी फल है। आयुर्वेद के अनुसार जामुन की गुठली का चूर्ण मधुमेह (Diabetes) में हितकर माना गया है। मधुमेह के रोगियों को नित्य जामुन खाना चाहियें। जामुन ही नहीं जामुन के पत्ते खाने से भी मधुमेह रोगियों को लाभ मिलता है। यहां तक की इसकी गुठली का चूर्ण बनाकर खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है। जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस पावडर को फाँकने से मधुमेह में लाभ होता है। इसमें कैरोटीन, आयरन, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और सोडियम भी पाया जाता है। इस वजह से यह शुगर का लेवल मेंटेन रखता है। यही नहीं यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाता है। जामुन आपकी पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है। इसलिए अगर आप इस मौसम में मौसम की मार से बचना चाहते हैं तो रोज जामुन (Jamun) खाएं। जामुन के मौसम में जामुन अवश्य खायें।
काले और पके हुए जामुन (Jamun) को साफ करके धोकर पोंछ लें। फिर इन्हें मिट्टी के बर्तन में नमक मिलाकर इसका मुँह साफ कपड़े से बाँधकर धूप में रख दें। एक सप्ताह धूप में रखने के पश्चात आप इसको साफ कपड़े से छानकर रस को काँच की बोतलों में भरकर रख लें। आपका यह सिरका तैयार है।
आप इसे मूली, प्याज, गाजर, शलजम, मिर्च आदि के टुकड़े पर भी इस सिरके में डालकर इसका उपयोग सलाद पर आसानी से किया जा सकता है। जामुन साफ धोकर ही सिरका बनाने के लिए उपयोग में लें।
1- यदि आपको कमजोरी महसूस होती है या आप एनीमिया (Anemia) से पीड़ित हैं तो जामुन का सेवन आपके लिए फायदेमंद रहेगा।
2- यदि आप अपने चेहरे पर रौनक लाना चाहती हैं तो जामुन के गूदे का पेस्ट बनाकर इसे गाय के दूध में मिलाकर लगाने से निखार आता है।
4- दस्त लगने पर जामुन के रस में सेंधा नमक मिलाकर इसका शर्बत बना कर पीना चाहियें। इसमें दस्त बाँधने की विशेष शक्ति है खूनी दस्त बन्द हो जाते हैं। बीस ग्राम जामुन की गुठली पानी में पीसकर आधा कप पानी में घोलकर सुबह-शाम दो बार पिलाने से खूनी दस्त बन्द हो जाते हैं। पेचिश में जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो से तीन बार लेने से काफी लाभ होता है।
5- जामुन के वृक्ष की छाल को घिसकर कम से कम दिन में तीन बार पानी के साथ मिलाकर पीने से अपच दूर हो जाता है।
7- जामुन पत्तों की भस्म को मंजन के रूप में उपयोग करने से दाँत और मसूड़े मजबूत होते हैं। अच्छी आवाज बरकरार रखने के लिए जामुन की गुठली के काढ़े से कुल्ला करना चाहिए। मुँह में छाले होने पर जामुन का रस लगाएँ वमन होने पर जामुन का रस सेवन करें।
8- जामुन के वृक्ष की छाल को घिसकर एवं पानी के साथ मिश्रित कर प्रतिदिन सेवन करने से रक्त साफ होता है। जामुन का लगातार सेवन करने से लीवर की क्रिया में काफी सुधार होता है।
9- मंदाग्नि (एसिडिटी) से बचने के लिए जामुन को काला नमक तथा भूने हुए जीरे के चूर्ण को लगाकर खाना चाहिए। कब्ज और उदर रोग में जामुन का सिरका उपयोग करें।
जामुन खाने के तत्काल बाद दूध नहीं पीना चाहिए। जामुन (Jamun) खाने के एक घंटे बाद तक दूध न पिएँ। यथासंभव भोजन के बाद ही जामुन का उपयोग करें। एक बात का ध्यान रखें कि कभी भी खाली पेट जामुन का सेवन न करें।
आप अधिक मात्रा में भी जामुन खाने से बचें। अधिक खाने पर यह नुकसान भी करता है। इसलिए उपयुक्त मात्रा में ही इसका सेवन लाभदायक है।
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मधुमेह के लिए जामुन (Jamun for Diabetes)-
जामुन (Jamun) का फल पेट के रोगों के लिए लाभप्रद माना गया है। सेंधा नमक के साथ इसका सेवन भूख बढ़ाता है और पाचन क्रिया (Digestibility)को तेज करता है। बरसात के दिनों में हमारी पाचन संस्थान (Digestive System) कमजोर पड़ जाती है कारण हमारा मानना है कि बरसात यानि बस तली चीजें खाना कचौडी, पकोडे, समोसे इत्यादि है जिसके कारण शुगर (Diabetes) वालों का शूगर और बढ़ जाता है तथा पाचन क्रिया सुस्त हो जाती है।
मधुमेह के लिए जामुन का पाउडर (Jamun Powder for Diabetes)-
मधुमेह के रोगियों के लिए भी जामुन अत्यधिक गुणकारी फल है। आयुर्वेद के अनुसार जामुन की गुठली का चूर्ण मधुमेह (Diabetes) में हितकर माना गया है। मधुमेह के रोगियों को नित्य जामुन खाना चाहियें। जामुन ही नहीं जामुन के पत्ते खाने से भी मधुमेह रोगियों को लाभ मिलता है। यहां तक की इसकी गुठली का चूर्ण बनाकर खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है। जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस पावडर को फाँकने से मधुमेह में लाभ होता है। इसमें कैरोटीन, आयरन, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और सोडियम भी पाया जाता है। इस वजह से यह शुगर का लेवल मेंटेन रखता है। यही नहीं यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाता है। जामुन आपकी पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है। इसलिए अगर आप इस मौसम में मौसम की मार से बचना चाहते हैं तो रोज जामुन (Jamun) खाएं। जामुन के मौसम में जामुन अवश्य खायें।
जामुन की पत्ती (Jamun leaf) में मौजूद ‘माइरिलिन’ नाम के यौगिक को खून में शुगर का स्तर घटाने में कारगर पाया गया है। ब्लड शुगर बढ़ने पर सुबह जामुन की 4 से 5 पत्तियां पीसकर पीना चाहिए। शुगर काबू में आ जाए तो इसका सेवन बंद कर दें।
गुर्दे की पथरी के लिए जामुन (Jamun for Kidney Stone)-
जामुन (Jamun) का पका हुआ फल गुर्दे की पथरी के रोगियों के लिए एक अच्छी रोग निवारक दवा है। यदि पथरी बन भी गई तो इसकी गुठली के चूर्ण का प्रयोग दही के साथ करने से लाभ मिलता है।
पका जामुन खाने से पथरी रोग में आराम मिलता है। पेट भरकर नित्य जामुन खाये तो इससे यकृत के रोगों में लाभ होगा। मौसम जाने के बाद इसकी गुठली को सुखाकर पीसकर रख लें। इसका पावडर इस्तेमाल करें वही फल वाला फायदा देगा।
कब्ज के लिए जामुन का सिरका (Jamun Vinegar for Constipation)-
जामुन का सिरका (Jamun Vinegar) बनाकर बराबर मात्रा में पानी मिलाकर सेवन करने से यह न केवल भूख बढ़ाता है। बल्कि कब्ज की शिकायत को भी दूर करता है। जामुन का सिरका गुणकारी और स्वादिष्ट होता है इसे घर पर ही आसानी से बनाया जा सकता है और कई दिनों तक उपयोग में लाया जा सकता है।
जामुन का सिरका बनाने की विधि (Method of making Jamun Vinegar)-
काले और पके हुए जामुन (Jamun) को साफ करके धोकर पोंछ लें। फिर इन्हें मिट्टी के बर्तन में नमक मिलाकर इसका मुँह साफ कपड़े से बाँधकर धूप में रख दें। एक सप्ताह धूप में रखने के पश्चात आप इसको साफ कपड़े से छानकर रस को काँच की बोतलों में भरकर रख लें। आपका यह सिरका तैयार है।
आप इसे मूली, प्याज, गाजर, शलजम, मिर्च आदि के टुकड़े पर भी इस सिरके में डालकर इसका उपयोग सलाद पर आसानी से किया जा सकता है। जामुन साफ धोकर ही सिरका बनाने के लिए उपयोग में लें।
जामुन के अन्य उपयोग (Other uses of Jamun)-
1- यदि आपको कमजोरी महसूस होती है या आप एनीमिया (Anemia) से पीड़ित हैं तो जामुन का सेवन आपके लिए फायदेमंद रहेगा।
2- यदि आप अपने चेहरे पर रौनक लाना चाहती हैं तो जामुन के गूदे का पेस्ट बनाकर इसे गाय के दूध में मिलाकर लगाने से निखार आता है।
3- मुँहासे (Acne) के लिए जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस ले। इस पावडर में थोड़ा-सा गाय का दूध मिलाकर मुँहासों पर रात को लगा लें। सुबह ठंडे पानी से मुँह धो लें। कुछ ही दिनों में मुँहासे मिट जाएँगे।
4- दस्त लगने पर जामुन के रस में सेंधा नमक मिलाकर इसका शर्बत बना कर पीना चाहियें। इसमें दस्त बाँधने की विशेष शक्ति है खूनी दस्त बन्द हो जाते हैं। बीस ग्राम जामुन की गुठली पानी में पीसकर आधा कप पानी में घोलकर सुबह-शाम दो बार पिलाने से खूनी दस्त बन्द हो जाते हैं। पेचिश में जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो से तीन बार लेने से काफी लाभ होता है।
5- जामुन के वृक्ष की छाल को घिसकर कम से कम दिन में तीन बार पानी के साथ मिलाकर पीने से अपच दूर हो जाता है।
6- जामुन की गुठली का चूर्ण आधा-आधा चम्मच दो बार पानी के साथ लगातार कुछ दिनों तक देने से बच्चों द्वारा बिस्तर गीला करने की आदत छूट जाती है।
7- जामुन पत्तों की भस्म को मंजन के रूप में उपयोग करने से दाँत और मसूड़े मजबूत होते हैं। अच्छी आवाज बरकरार रखने के लिए जामुन की गुठली के काढ़े से कुल्ला करना चाहिए। मुँह में छाले होने पर जामुन का रस लगाएँ वमन होने पर जामुन का रस सेवन करें।
8- जामुन के वृक्ष की छाल को घिसकर एवं पानी के साथ मिश्रित कर प्रतिदिन सेवन करने से रक्त साफ होता है। जामुन का लगातार सेवन करने से लीवर की क्रिया में काफी सुधार होता है।
9- मंदाग्नि (एसिडिटी) से बचने के लिए जामुन को काला नमक तथा भूने हुए जीरे के चूर्ण को लगाकर खाना चाहिए। कब्ज और उदर रोग में जामुन का सिरका उपयोग करें।
जामुन के बीज-पाउडर साइड इफेक्ट (Jamun Seed-Powder Side Effects)-
जामुन खाने के तत्काल बाद दूध नहीं पीना चाहिए। जामुन (Jamun) खाने के एक घंटे बाद तक दूध न पिएँ। यथासंभव भोजन के बाद ही जामुन का उपयोग करें। एक बात का ध्यान रखें कि कभी भी खाली पेट जामुन का सेवन न करें।
आप अधिक मात्रा में भी जामुन खाने से बचें। अधिक खाने पर यह नुकसान भी करता है। इसलिए उपयुक्त मात्रा में ही इसका सेवन लाभदायक है।
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