अपानवायु एक रोचक तथ्य (Interesting Fact of Fart)-
अपानवायु (Fart) को जन-प्रचलित देशी भाषा में यदि संबोधित करें तो इसे "पादना" कहा जाता है जी हाँ ये विषय ही ऐसा है जिस पर कोई भी व्यक्ति बात करने से हिचकिचाता है। लेकिन आज हम अपानवायु पर ही बात करने जा रहे है। लेकिन आप मुझे बदतमीज न समझे।
अपानुवायु क्या है (What is Fart)-
1- वैसे तो ये विषय काफी उपेक्षित विषय रहा है और इसका नाम लेना भी उसी तरह असभ्यता समझी जाती है जैसे भद्दी गाली किसी ने बोल दी हो। इसे सरल भाषा में "पाद" और पढे लिखे लोगों की भाषा में इसे "अपानवायु (Fart)" कहते हैं।
2- इसको एक छोटा सा बच्चा भी जानता है क्योंकि पाद (Fart) ऐसा होता है जो शुरु से ही बच्चों का मनोरंजन करता है और इसीलिये बच्चे कहीं भी पाद देते हैं। तब उन्हें बङे सिखाते हैं कि बेटा यूँ अचानक कहीं भी पाद देना उचित नहीं हैं। लेकिन अब इन बङों को कौन सिखाये कि पादा भी क्या अपनी इच्छा से जाता है अरे वो तो खुद ही आता है।
3- अगर किसी मंत्री को भरी सभा में पाद (Fart) आये तो फिर पादेंगे नहीं क्या? इसलिये पाद पर किसी तरह का नियंत्रण संभव ही नहीं है। आपका यदि डाक्टरी चेकअप हो तो आप ध्यान दें कि कभी-कभी डाक्टर भी आपसे पूछता है कि हवा सही खुलती है या नहीं। क्युकि डॉक्टर की भी यही समस्या है कि पाद चेक करने की अभी तक कोई अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) या एम.आ.आर जैसी मशीन नहीं बनी है।
4- ये तमाम प्रकार के चूरन-चटनी-हाजमोला जैसी गोलियों का करोङों रुपये का कारोबार केवल इसी बिन्दु पर ही तो निर्भर है कि जनता ठीक से पादती रहे।
5- यदि आपको दिन में तीन-चार बार और रात को लगभग 10 बार अलग अलग तरह के पाद (Fart) नहीं आते तो फिर आपके ये पाउडर लिपिस्टिक सब बेकार है। क्योंकि अन्दर से आपका सिस्टम बिगङ रहा है। यदि लिवर ही ठीक से काम नहीं कर रहा तो फिर अन्य अंगो को पोषण कहाँ से मिलेगा। इसलिये पादने (अपानवायु) में आप तो बिलकुल भी संकोच न करें।
अपानवायु के प्रकार (Types of Fart)-
अपानवायु (Fart) को पांच प्रकार की श्रेणियों में विभाजन किया जा सकता है। आइये इसे सरल और व्यंगात्मक रूप से हम समझने का प्रयास करते है।
1- अपानवायु में राजा है "भोंपू" इसे उत्तम श्रेणी का कहा जा सकता है। क्युकि ये घोषणात्मक और मर्दानगी भरा होता है। इसमें आवाज ज्यादा और बदबू कम होती है। मतलब ये स्पष्ट है कि आपका पेट बिलकुल दुरुस्त है। आपको कब्ज की शिकायत नहीं है और माइग्रेन भी नहीं होगा।
2- अपानवायु में मध्यमा है "शहनाई" हमारे पूर्वजो ने इसे मध्यमा ही कहा है। इसमें से आवाज निकलती है "ठें ठें" या कहें "पूंऊऊऊऊऊ" ये पेट को जादा गरिष्ठ न खाने की सलाह देता है।
3- अपानवायु में तीसरा है "खुरचनी" जिसकी आवाज पुराने कागज के सरसराहट जैसी होती है। यह एक बार में नई निकलती है। यह एक के बाद एक कई 'पिर्र पिर्र पिर्र पिर्र' की आवाज के साथ आता है। यह ज्यादा गरिष्ठ खाने से होता है। मतलब आपका पेट खराब होने या कब्ज होने की सूचना से पहले अवगत करा रहा है।
4- चौथे नम्बर का अपानवायु है "तबला" ये अपनी उद्घोषणा केवल एक फट के आवाज के साथ करता है। तबला एक खुदमुख्तार "पाद" है क्योंकि यह अपने मालिक के इजाजत के बगैर ही आ जाता है। ये आपको भरी सभा में भी शर्मिंदा कर देता है।
5- अंतिम और विशेष प्रकार का अपानवायु है "फुस्कीं"- यह एक निःशब्द "बदबू बम" है। चूँकि इसमें आवाज नही होती है इसलिए ये पास बैठे व्यक्ति को सबसे पहले पता हो जाता है। इसे "गुप्त अपानवायु" भी कह सकते है। ये निम्न कोटि की श्रेणी में आता है। ये उन लोगो को होता है जिनका पेट खराब है यानि कि कब्ज की शिकायत है।
6- कुछ लोग इतने सियाने होते हैं कि अपने पाद को बीच में ही रोक लेते हैं और बेचारा "पाद" मन मसोस कर रह जाता है पेट के भीतर ही। "पाद" भी सोचता है कि कंजूस है। मुझे बाहर भी नहीं निकलने देता है। धीमा पाद सुस्त व्यक्तित्व की निशानी है।
7- हम अपानवायु एक्सपर्ट तो नहीं है बस हमारा अनुभव है कि दुनियां का सबसे बड़ा सुख "पादने" में है। इसे करके सम्पूर्ण तृप्ति का एहसास मिलता है। मुझे महसूस होता है पेट के डिब्बे में जो गैस कई मिनट या घंटों से परेशान कर रही थी उसे मात्र एक पाद ने ध्वस्त कर दिया है। काफी हद तक पेट के साथ-साथ दिमाक को भी सुकून मिलता है।
8- कुछ व्यंगकार को सबसे जादा "पाद" व्यंग लेखन के समय ही आते है। व्यंग वही है जो खुद को भी हंसने पे मजबूर कर दे और खुल के गैस बाहर चली जाए।
9- खुशवंत सिंह ने पाद पर बड़ा ही रोचक प्रसंग लिखा था अपने स्तंभ में कि-मित्र के साथ एक रात अपने कमरे में बीताने पर उन्हें पाद का जो अनुभव हासिल हुआ था। वही दर्ज था और साथ ही, यह भी लिखा था- दुनिया में सबसे खराब अमेरिकनस ही पादते हैं। उनके पाद बेहद बदबूदार और नापाक होते हैं।
10- वैसे चालाक लोग लोग पाद मार कर भी खुद का इल्जाम दूसरों पर मढ़ देते हैं। अतएव इस पाद पर भी एक कानून बनाने की आवश्यकता है। यदि इस बार लोक सभा चुनाव में जनता ने हमें चुन लिया तो संसद में "पाद अधिनयम" बिल अवश्य ही पारित करा कर गुप्त पाद का इल्जाम दूसरों पर डालने वाले लोगों को कम से कम 7 साल की सजा का प्रविधान अवश्य ही करवाएगें।
उपरोक्त लेख मात्र आपको व्यंगात्मक रूप में लिखने का एक मात्र उद्देश्य सिर्फ यही था कि आप अपने पेट से कब्ज को दूर भगाए और समाज में भी शर्मिंदगी से बचे।
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